नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में बूचड़खानों को लेकर सियासत गरमाने लगी है। विकास की बात करते-करते भारतीय जनता पार्टी ने सरकार बनाने पर सूबे के सभी बूचड़खानों को बंद करने का ऐलान कर अपनी विरोध पार्टियों को यह कहने का मौका दे दिया है कि इसके पीछे भाजपा का मकसद हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण है।
केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा उत्तर प्रदेश के लिए अपने घोषणापत्र में सरकार बनने पर सूबे के सभी बूचड़खानों को बंद करने की बात कही है। विपक्षी पार्टियों का सवाल है, चुनाव आते ही भाजपा अयोध्या में राम मंदिर से लेकर बूचड़खानों तक को सियासी रंग क्यों देने लगती है?
उप्र विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने प्रदेश में 12 मार्च से ही सभी बूचड़खानों को बंद करने का ऐलान कर दिया। मतदान के नतीजे 11 मार्च को घोषित होंगे और अगर भाजपा को बहुमत मिली तो अगले ही दिन यानी चंद घंटों बाद प्रदेश के सभी बूचड़खानों में ताला कैसे लटकने लगता है, यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा।
बूचड़खाने बंद करने के अपने अग्रिम फैसले की भाजपा ने मुखर होकर पैरवी की। पार्टी की कद्दावर नेता रीता बहुगुणा जोशी ने आईएएनएस से कहा, “यह एकदम से लिया गया फैसला नहीं है। हमारी पार्टी शुरू से ही गौहत्या और बूचड़खानों के खिलाफ रही है और इसी संदर्भ में यह ऐलान किया गया है। विपक्ष प्रदेश में भाजपा को जीत मिलती देख बौखला रहा है और बेवजह मामले को तूल दे रहा है।”
भाजपा द्वारा खेले गए बूचड़खाना कार्ड पर कटाक्ष करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हाल ही में कहा था, “केंद्र सरकार बूचड़खानों पर इतनी हायतौबा मचा रही है तो वह पहले देश से मांस के निर्यात पर रोक क्यों नहीं लगाती? वह बूचड़खानों को दी जाने वाली आर्थिक मदद भी रोक सकती है। रोककर देख ले।”
भारत मांस निर्यात करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश है। उत्तर प्रदेश भैंस के मांस उत्पादन में अग्रणी राज्य है। आधिकारिक आंकड़ों के हिसाब से देश के कुल भैंस मांस उत्पादन में उत्तर प्रदेश की भागीदारी 28 फीसदी है।