यूपी चुनाव 2017: आखिर एक सड़क कैसे बन रही है साईकल के पंक्चर होने की बड़ी वजह? ग़ाज़ीपुर के बारा गांव से सियासत हिन्दी की पेशकश

शम्स तबरेज़, सियासत न्यूज़ ब्यूरो, लखनऊ।
बारा(ग़ाज़ीपुर): इस बार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में बड़े बड़े विकास दावे किए गए हैं। अपने अपने विकास के दावे करने में सभी पार्टियां बढ़ चढ़ कर अपने योगदान को गिना रहे है चाहे समाजवादी पार्टी हो बसपा हो या भाजपा का पुराना शासनकाल जिसमें बाबरी मस्ज़्दि की शहादत भी शामिल है। उत्तर प्रदेश का ग़ाज़ीपुर ज़िला काफी बड़ा ज़िला माना जाता है। जहां का ज़मानियां विधायनसभा क्षेत्र पूरे उत्तर प्रदेश में प्रचलित है।

कौन हैं ओमप्रकाश सिंह उर्फ मंत्री जी?


ज़मानियां विधानसभा क्षेत्र से मौजूदा विधायक और हाल ही अखिलेश सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर और पर्यटन मंत्री रह चुके ओम प्रकाश सिंह भी जो ज़मानिया विधानसभा से एक या दो नहीं बल्कि कई बार विधायक रहे चुके हैं। ओमप्रकाश का कद जितना ऊंचा है उतनी बड़ी उनकी शक्सियत। चाहे उनकी पार्टी की सरकार हो या न हो लेकिन मंत्री जी के नाम लोग उनको संबोधित करते हैं।

उत्तर प्रदेश और कमसारोबार में क्या है ओमप्रकाश का अहमियत?
ओमप्रकाश सिंह उर्फ मंत्री जी जमांनिया विधानसभा क्षेत्र के भदौरा से सटे हुए सेवराई गांव के रहने वाले हैं। ओमप्रकाश सिंह को शिवपाल खेमें का माना जाता है जिनका टिकट एक बार अखिलेश ने काट ने दिया था, लेकिन बाद में ओमप्रकाश के कद ने अखिलेश को अपने फैसले पर फिर से विचार करने के लिए विवश होना पड़ा और अंतत: अखिलेश ने ओमप्रकाश का ज़मानियां से टिकट कंफर्म कर दिया।

ज़मानियां विधानसभा क्षेत्र में क्या है कमसारोबार के मुस्लिमों का योगदान?
ज़मानियां विधानसभा क्षेत्र में ओमप्रकाश सिंह को विजेता बनाने में जितना बड़ा योगदान ज़मांनिया विधानसभा क्षेत्र में वोटरों का है, उससे भी बड़ा योगदान कमसारोबार के मुसलमान का है। ओमप्रकाश सिंह कमसार के मुस्लिमों के हर दिल अज़ीत माने जाते हैं। कई किलोमीटर क्षेत्र में फैले बारा और उसियां गांव को ओमप्रकाश का गढ़ माना जाता है।
क्या है कमसारो का एतिहासिक और राजनीतिक महत्व?
कमसारोबार ग़ाज़ीपुर ज़िले में मशहूर सर्वाधिक मुस्लिम ईलाके का नाम है, जिसका दायरा यूपी के साथ—साथ बिहार के सीमावर्ती ईलाकों में फैला है। कमसारोबार का अपना एक एतिहासिक महत्व है। कमसार में ही ‘दीनदार नगर’ है जो मुगल बादशाह औरंगज़ेब के मनसबदार दीनदार खां ने बसाया था जो आज मौजूदा ‘दिलदार नगर’ के नाम से मशहूर है। कुछ माह पहले ही दीनदार खां के दसवीं पीढ़ी के वंशज नसीम रज़ा खां के प्रयास से ओमप्रकाश ने दीनदार खां म्यूज़ियम का अपने हाथों से शिलान्यास किया था।
कमसारोबार का ईलाका तय करता है कि विधायक और सांसद कौन होगा। कमसारोबार में बारा और उसियां इतने बड़े मुस्लिम आबादी वाले गांव है, जिनका मतदाता जिसको चाहे हाथी की सवारी करा दे और जिसको चाहे साईकिल पर बैठा दे।
इस बार द सियासत डेली ने पूर्वांचल में मुसलमान बहुल इलाकों का दौरा कर रहा है और इसी दौरे में सियासत न्यूज़ ब्यूरो ने लखनऊ से निकलकर ग़ाज़ीपुर का दौरा किया, जहां कमसारोबार का बारा गांव हमारा पहला पड़ाव बना और हमने ये जानने का प्रयास किया कि बारा के मुस्लिम वोटरों के कौन—कौन से मुद्दे ऐसे है जिसकी खातिर वो इस बार अपने—अपने उम्मीदवार को चुनेंगे?
बारा गांव का कौन सा तबका है ओमप्रकाश से नाखुश?
सियासत से बात करते हुए बारा के वोटरों ने मंत्री जी यानि कि ओमप्रकाश के विकास की तारीफ की, वहीं बारा गांव का एक बड़ा मुस्लिम तबका ऐसा भी है जो आमप्रकाश से काफी नाखुश नज़र आता है।
क्यों सड़क बन रही है साईकल के पंक्चर होने की बड़ी वजह?


सीएम अखिलेश ने मेट्रो और एक्सप्रेस वें परियोजना के ज़रीए अपने विकास का लोहा मनवाया है लेकिन लखनऊ से बाहर विकास की हालत किसी से छिपी नहीं है।
बारा गांव में सियासत से बात करते हुए लोगों ने बारा गांव के विकास में ओमप्रकाश मंत्री के योगदान को पूरी तरह से नकार रहे हैं इसके साथ ही कुछ लोगों ने जमांनिया विधानसभा क्षेत्र में ओमप्रकाश के वजूद को स्वीकार किया और ओमप्रकाश के किए गए कार्यो को गिनाने का भी प्रयास किया लेकिन आज के पीढ़ी के नौजवान मतदाता उनके विकास पूरी तरह खारीज़ कर रहे है।
बारा गांव के ओमप्रकाश के एक समर्थक ने बारा गांव में नदी गंगा नदी किनारे बने नए घाटों और उनका सुन्दरीकरण का श्रेय ओमप्रकाश को दिया, लेकिन यहां का नौजवान तबका कैमरे हट कर सीधे इस बात को कहने से नहीं हिचकिचाते कि गंगा के घाट को बनाने का काम केन्द्र सरकार की योजना नमामी गंगे परियोजना के तहत हो रहा है जिसमें केन्द्र सरकार का योगदान है न कि ओमप्रकाश का।
कैसे बन गया सियासत ओमप्रकाश के ट्रोल का शिकार?


लखनऊ से बारा कवर करने पहुंची सियासत हिन्दी की टीम पहली बार बारा की सरज़मीन पर कदम रखा और लोगों से उनकी राय जानने का प्रयास किया तभी एक नौजवान दबंग भाषा में ये आरोप लगाता है कि हम उन्हीं लोगों से बात कर रहे हैं जो हम जानते और पहचानते हैं। जब कि ऐसा नहीं था। हमने देखते ही समझ गए कि सुनियोजित लोग एक लठैत यानि ट्रोल की भूमिका निभा रहे हैं जो ओमप्रकाश से समर्थक हैं
बसपा प्रत्याशी अतुल राय का खुलकर समर्थन कर रहा है। लेकिन सबने इस बात को भी नज़र अंदाज़ नहीं किया कि ओमप्रकाश ने इस इलाके के लिए विकास कार्य नहीं किया, फिर ज़्यादातर लोगों ने सड़क की बुरी हालत के लिए ओमप्रकाश को ज़िम्मेदार ठहरा रहे हैं।
अतुल राय को बीएसपी ने टिकट दिया और वो कमसारोबार क्षेत्र के बीरपुर गांव से हैं और बारा गांव जितना अतुल राय के गांव से करीब है, उससे भी ज़्यादा बारा गांव अतुल राय को अपना करीबी बना चुका है।
अतुल राय क्यों बन रहे है नौजवानों की पहली पसंद?


बारा गांव में अतुल राय के समर्थकों में ज़्यादातर नौजवान वर्ग है जो अतुल राय का खुलकर समर्थन कर रहा है। ज़मानियां विधानसभा क्षेत्र के विकास के लिए बारा गांव से अतुल के समर्थन ज्य़ादातर हासिल होने की उम्मीद।
अतुल राय ज़मानियां विधानसभा क्षेत्र में बसपा के टिकट पर लड़ने वाले एक नौजवान प्रत्याशी है और नौजवान होने की वजह से यहां के नई सोच वाले लोग अतुल राय के नाम का दम भर रहे हैं। आगामी 8मार्च को इस विधानसभा क्षेत्र में मतदान है, अब ये देखना बाकी है कि अतुल राय और ओमप्रकाश का समर्थन करने वाली भीड़ मतदान केन्द्रों में कितना डटकर मतदान करेगी।