महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) प्रमुख राज ठाकरे रविवार को एक बार फिर से मराठी और उत्तर भारतीयों की राजनीति को हवा देते नजर आए। एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार से यहां आए लोगों को अपने-अपने राज्यों में नेताओं से वहां विकास के अभाव पर सवाल पूछना चाहिए। ठाकरे ने मुंबई में रह रहे उत्तर भारतीयों के एक संगठन ‘उत्तर भारतीय मंच’ की रैली को संबोधित करते हुए ये बयान दिया।
Migrants must question lack of development back home: Raj Thackeray https://t.co/jhbt6nujjM pic.twitter.com/h5ZwHOwMUf
— NDTV (@ndtv) December 3, 2018
उन्होंने कहा कि वे अपनी पार्टी के पिछले विरोध प्रदर्शनों के लिए कोई स्पष्टीकरण देने नहीं आए हैं, बल्कि हिंदी में अपने विचार रखने आए हैं ताकि बड़ी संख्या में लोगों तक अपनी बात पहुंचा सकें।
WATCH- Maharashtra Navnirman Sena (MNS) chief Raj Thackeray while addressing the North Indian community in Mumbai said they do not have any self respect. pic.twitter.com/rS1Kwvbv8X
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ठाकरे ने कहा, ‘‘उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने देश को वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (जो वाराणसी से सांसद हैं) सहित कई प्रधानमंत्री दिए हैं। आप में से कोई उनसे (नेताओं से) नहीं पूछते कि क्यों राज्य औद्योगीकरण में पीछे छूट रहा है और क्यों वहां कोई रोजगार नहीं मिल रहा है।’’
राज ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में अगर नौकरी के अवसर हैं तो क्या ये गलत है कि महाराष्ट्र के युवाओं को पहली प्राथमिकता दी जाए? अगर यूपी में एक इंडस्ट्री खुलती है तो वहीं के युवाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। ऐसा ही बिहार में भी होना चाहिए। इसमें क्या गलत है?
उन्होंने कहा, ‘‘मुंबई आने वाले लोगों में अधिकांश लोग यूपी, बिहार, झारखंड और बांग्लादेश से हैं। मैं सिर्फ ये चाहता हूं कि अगर लोग आजीविका की तलाश में महाराष्ट्र आ रहे हैं, तो उन्हें स्थानीय भाषा और संस्कृति का सम्मान करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब भी मैं अपना पक्ष रखता हूं जिससे यूपी और बिहार के लोगों के साथ विवाद हो जाता है, तो हर कोई मेरी आलोचना करता है। लेकिन, हाल में गुजरात में बिहारी लोगों पर हुए हमलों के बाद, किसी ने भी सत्तारूढ़ दल (BJP) या प्रधानमंत्री (जिनका गृह राज्य गुजरात है) से सवाल नहीं किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इसी तरह के विरोध असम और गोवा में भी हुए। लेकिन, मीडिया ने उसे कभी भी तरजीह नहीं दी। लेकिन, मेरे विरोध को हमेशा ही मीडिया में बढ़ा-चढ़ाकर कर पेश किया जाता है।’’
इसके अलावा उन्होंने हिंदी के राष्ट्रीय भाषा होने को भी गलत ठहराया। उन्होंने कहा कि बेशक हिंदी सुंदर भाषा है। लेकिन, ये गलत है कि ये राष्ट्रीय भाषा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय भाषा को लेकर कभी भी निर्णय नहीं लिया गया। हिंदी भाषा की तरह ही बाकी दूसरी भाषाएं हैं।
साभार- ‘इंडिया टीवी न्यूज़ डॉट कॉम’