यूपी में पहली मर्तबा 71 मुस्लिम उम्मीदवार मुंतखिब ( निर्वाचित)

उत्तर प्रदेश असेंबली इंतेख़ाबात में पहली मर्तबा 71 मुस्लिम उम्मीदवार कामयाब हुए हैं। याद रहे कि इस से क़ब्ल 1980-85 में 53 मुस्लिम उम्मीदवार कामयाब हुए थे। समाजवादी पार्टी की कामयाबी में मुल्क के दो बड़े तबक़े दलित और मुस्लमानों ने अहम रोल अदा किया है।

इंतेख़ाबात में मुस्लिम राय दहिंदों के फैसला कुन मौक़िफ़ को महसूस करते हुए तमाम अहम सयासी जमातों ने इस मर्तबा फ़राख़दिली से मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में खड़ा किया था। मुस्लमानों की इस सयासी हिक्मत-ए-अमली के नतीजा में 403 रुकनी असेंबली के लिए 71 मुस्लिम उम्मीदवार कामयाब हुए हैं।

अगरचे बरसर-ए-इक्तदार बहुजन समाजवादी पार्टी ने सब से ज़्यादा मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में खड़ा किया था ताहम चीफ मिनिस्टर मस मायावती की पालिसीयों से रियासत के मुस्लमान बदज़न हो गये थे। समाजवादी पार्टी के सरबराह मिस्टर मुलायम सिंह और उनके फ़र्ज़ंद मिस्टर अखीलेश ने भी मुस्लमानों की नाराज़गी को दूर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी और ताक़तवर मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिया था।

उत्तर प्रदेश में ज़ाइद अज़ 130 असेंबली हलक़ों में मुस्लमान बादशाह गिर का मौक़िफ़ रखते हैं। मुस्लिम उम्मीदवारों का तनासुब 17.61 फीसद रहा है। मुंतख़ब 71 मुस्लिम उम्मीदवारों में समाजवादी पार्टी के 44 उम्मीदवार हैं जबकि बहुजन समाज पार्टी से 15 कांग्रेस पार्टी से 5 पी एस पी से 3 और एन सी पी क्यू ई डी बी जे पी और एक आज़ाद उम्मीदवार कामयाब हुए हैं। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के स्टार मुहिम साज़ राहुल गांधी भी मुस्लिम राय दहिंदों को राग़िब करने में नाकाम रहे हैं।

इसके बावजूद कांग्रेस पार्टी के कामयाब 28 उम्मीदवारों में 5 मुस्लिम उम्मीदवार शामिल हैं जो इस बात का इशारा है कि उत्तर प्रदेश के मुस्लमानों ने बड़ी ही हिक्मत-ए-अमली के साथ राय दही में हिस्सा लिया और एक ही हलक़ा में मुख़्तलिफ़ सयासी जमातों की जानिब से मुस्लिम उम्मीदवारों की मौजूदगी के बावजूद दानिशमंदी का मुज़ाहरा करते हुए वोटों को तक़्सीम होने से बचाया।