यूपी में बर्क़ी निज़ाम ख़ानगयाने के ख़िलाफ़ मुलाज़मीन का एहतिजाज का इंतिबाह

पावर सेक्टर के इंजीनीयर्स और मुलाज़मीन ने दार-उल-ख़लाफ़ा के इलावा मुल्क के साथ अहम शहरों में बर्क़ी को ख़ानगयाने के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त एहतिजाज का इंतिबाह दिया है। दरीं असना पावर इम्पलाइज़ जवाइंट ऐक्शण कमेटी के कन्वीनर शैलेन्द्र् दूबे ने कहा कि इंडस्ट्रीयल डेवलपनेंट कमिशनर ए के गुप्ता ने अपने एक ब्यान में कहा था कि बर्क़ी निज़ाम को सात शहरों में बिशमोल यूपी का दार-उल-ख़लाफ़ा लखनउ में मुबय्यना तौर पर ख़ानगी कंपनीयों के हवाले कर दिया जाएगा।

उन्होंने कहा कि दीगर शहरों में मेरठ, बरेली, वाराणसी, मुज़फ़्फ़र नगर, ग़ाज़ीयाबाद और रावर्टसगंज शामिल हैं। मिस्टर दूबे ने इल्ज़ाम आइद करते हुए कहा कि आगरा में गुज़शता हुकूमत ने बर्क़ी निज़ाम को ख़ानगी कंपनीयों के हवाले कर दिया था जिसके बाद बदउनवानीयों में मज़ीद इज़ाफ़ा हो गया जिसके ख़िलाफ़ एहतिजाज करने वालों में ख़ुद समाजवादी पार्टी अरकान भी शामिल थे और इस तरह यूपी पावर कारपोरेशन लिमेटेड को सालाना 600 करोड़ रुपय का ख़सारा बर्दाश्त करना पड़ा।

लिहाज़ा अगर सात शहरों में बर्क़ी निज़ाम को हाँगी कंपनीयों के हवाले करने के फ़ैसला को वापस नहीं लिया गया तो फिर इंजीनीयर्स और दीगर मुलाज़मीन रियासत गीर पैमाने पर एहतिजाज करेंगे और हिक्मत-ए-अमली वज़ा करने के लिए ऐक्शण कमेटी का एक इजलास चहारशंबा को मुनाक़िद किया जाएगा।

दरीं असना बी जे पी ने अपने एक ब्यान में कहा कि कोई भी क़तई फ़ैसला करने से क़ब्ल मुबाहिसा ज़रूरी है। पार्टी तर्जुमान विजय बहादुर पाटक ने कहा कि माज़ी में भी बर्क़ी निज़ाम को ख़ानगी कंपनीयों के हवाले करने का फ़ैसला मुनफ़अत बख्श साबित नहीं हुआ लिहाज़ा क़तई फ़ैसला करने से क़ब्ल मुबाहिसा किया जाना ज़रूरी है।

उन्होंने मज़ीद कहा कि अगर हुकूमत जल्दबाज़ी में कोई फ़ैसला करती है तो इस का वाज़िह मतलब ये होगा कि हुकूमत एक मख़सूस तबक़ा को फ़ायदा पहुंचाना चाहती है। माज़ी में भी जब बर्क़ी निज़ाम को ख़ानगी कंपनीयों के हवाले किया गया तो इससे मुलाज़मीन के मुफ़ादात को शदीद ठेस पहुंचे।

हुकूमत को सब से इस बात को यक़ीनी बनाना चाहीए कि बर्क़ी निज़ाम को ख़ानगयाने के बाद बर्क़ी शरह में बेतहाशा इज़ाफ़ा नहीं होगा और दूसरी और अहम बात ये है कि मुलाज़मीन के मुफ़ादात मुतास्सिर नहीं होने चाहीए ।