यूपी में यादव-कुर्मी को सिर्फ 7% आरक्षण देने की तैयारी में योगी सरकार

यूपी में लोकसभा चुनाव 2019 से पहले नए जातीय समीकरण की जमीन तैयार हो रही है. दरअसल यूपी में आरक्षण में बंटवारे का फ़ॉर्मूला तैयार हो चुका है. चार सदस्यीय सामाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट यूपी सरकार को सौंप दी है. रिपोर्ट में ओबीसी और एससी/एसटी आरक्षण कोटे में बंटवारे की सिफारिश की गई है. समिति ने सुझाव दिया है कि ओबीसी के लिए कुल 27% कोटे मेंं सेे  यादव और कुर्मी को केवल 7% आरक्षण दिया जाए. पैनल का मानना है कि दोनों जाति न केवल सांस्कृतिक रूप से बल्कि आर्थिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली हैं. बता दें कि यादव समाजवादी पार्टी का मुख्य वोट बैंक हैं, जबकि कुर्मी भारतीय जनता पार्टी की सहयोगी अपना दल के प्रमुख मतदाता हैं.

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति राघेंद्र कुमार की अध्यक्षता वाली समिति ने सभी ओबीसी को 79 उप-जातियों में बांटा है. रिपोर्ट यूपी असेंबली के शीतकालीन सत्र में पिछली कल्याण मंत्री और बीजेपी सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर द्वारा पेश की जाने वाली है, जो कि आज यानी मंगलवार से शुरू होने वाली है. राजभर ने 24 दिसंबर से बड़े पैमाने पर आंदोलन शुरू करने की भी धमकी दी है, कहा है कि प्रदेश के अति पिछड़ा समाज को हर हाल में अन्य पिछड़ा वर्ग के 27 फीसदी आरक्षण में बंटवारा होना चाहिए.

 

पिछड़ा वर्ग आरक्षण को तीन बराबर भागों में बांटने की सिफारिश
यूपी सरकार को प्रस्तुत रिपोर्ट ने समिति ने पिछड़ा वर्ग आरक्षण को तीन बराबर हिस्सों में बांटने की सिफारिश की है. समिति ने इसके लिए तीन वर्ग पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा बनाने का प्रस्ताव दिया है. इसके तहत 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण को तीन बराबर हिस्सों में बांटा जाएगा. यानी पिछड़ा, अति पिछड़ा और सर्वाधिक पिछड़ा वर्ग को 9-9 फ़ीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि राजभर, घोसी और कुरैशी (मुस्लिम समुदाय के बीच) की सबसे पिछड़ी जातियां को 9% आरक्षण देने का प्रस्ताव है. रिपोर्ट के मुताबिक, ये समुदाय या तो क्‍लास III या क्‍लास IV श्रेणी की नौकरियों में शामिल हैं या पूरी तरह से बेरोजगार हैं.

कई जातियां आरक्षण से हुईं प्रभावशाली
रिपोर्ट में बताया गया है कि आरक्षण प्रावधानों से लाभ प्राप्त करने के बाद ओबीसी के भीतर कुछ उप-जाति सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से मजबूत हो गई. ऐसे में उनकी जनसंख्या और शिक्षा स्तर में वृद्धि ने उन्हें राजनीतिक रूप से प्रभावशाली बना दिया. ऐसे में यह देखा गया है कि केवल कुछ उप-जाति आरक्षण का लाभ प्राप्त करने में सक्षम हैं, जबकि उनमें से अधिकांश को छोड़ दिया गया है.

मुख्यमंत्री को लेना है अंतिम फैसला
अब इस मामले में फैसला मुख्यमंत्री को लेना है. रिपोर्ट उनके पास है. मामले में कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने कहा कि अब जब समिति की रिपोर्ट आ चुकी है, तो इसे जल्द से जल्द लागू किया जाना चाहिए. इससे सरकार को चुनाव में लाभ ही लाभ मिलेगा. वहीं दूसरा सहयोगी अपना दल बंटवारे के पक्ष में नहीं है.