गोरखपुर: उत्तर पद्रेश में मुस्लिम वोटरों की सरकार बनाने में बड़ी भूमिका होती है। लिहाजा समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांगेस पार्टी मुस्लिम वोटरों को लुभाने में जुट गई हैं। वहीं, भारतीय जनता पार्टी भी मुस्लिम वोटरों को बांटने के आकड़ो में लगी है।
वन इंडिया के अनुसार, पिछले दो विधानसभा चुनावों में पूर्वांचल के गोरखपुर-बस्ती मंडल के सात जिलों की इन दोनों मंडलो की कुल 41 सीटों में से 13 सीटों पर मुस्लिम वोटरों का खास प्रभाव है। ऐसे में सभी दलों की निगाहें शोहरतगढ़, बांसी, इटावा, डुमरियागंज, मेंहदावल, खलीलाबाद, पनियरा, गोरखपुर ग्रामीण, पिपराइच, फाजिलनगर, कुशीनगर, पथरदेवा, रामपुर कारखाना मुस्लिम बाहुल्य इलाकों पर लगी हुई है।
हैरत की बात ये है कि 41 सीटों में से कभी 3 तो कभी 4 मुस्लिम उम्मीदवार विधानसभा पहुंचने में कामयाब होते हैं। जो कि मुस्लिम वोटरों की संख्या को देखते हुए बेहद कम है। वर्ष 2007 के विधानसभा चुनाव में डुमरियागंज से बसपा के तौफीक अहमद, मेहंदावल से सपा के अबुल कलाम व सलेमपुर से सपा के गजाला लारी चुनाव जीतने में कामयाब हुए थे।
हालांकि गोरखपुर ग्रामीण का इलाका मुस्लिम बाहुल्य है, जहां पर मुस्लिम वोटों की बदौलत ही जीत हासिल की जा सकती है। लेकिन दोनों मंडलों में पार्टी ने चार मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे है। रामपुर कारखाना, फाजिलनगर, पथरदेवा व डुमरियागंज में मुस्लिम प्रत्याशी घोषित हुए हैं। जिसमें तीन वर्तमान में विधायक हैं। वहीं, पिपराइच में बसपा ने आफताब को अपना दावेदार के तौर पर पेश किया है।
अन्य दलों के साथ पीस पार्टी, एआईएमआईएम की इन्हीं सीटों पर पैनी निगाह है। यहीं से दोनों पार्टियों के लिए सीट निकलने की उम्मीद भी लगी हुई है। हालांकि पीस पार्टी ने गोरखपुर ग्रामीण सीट पर दो छोटे दलों से गठबंधन कर लिया है और डा. संजय निषाद को अपनी पार्टी का प्रत्याशी बनाया है। वहीं, बात करें सपा की तो गोरखपुर की 9 विधानसभा सीटों पर सपा ने एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं खड़ा किया है।