यूपी: राशन घोटाले में 400 पर केस दर्ज, मचा हड़कंप!

उत्तर प्रदेश में एक बड़ा राशन घोटाला सामने आया है। अब तक की जांच में पता चला है कि यूपी के 43 जिलों में सिर्फ एक महीने के दौरान करीब एक लाख पचहत्तर हजार से ज्यादा गरीबों का राशन ब्लैक मार्केट में बेच दिया गया। इस मामले में पूरे उत्तर प्रदेश में साढ़े चार सौ से ज्यादा FIR दर्ज की गयी है।

चूंकि अब पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम का पूरा डेटा कंप्यूटराइज्ड है और राशन कार्ड के साथ साथ कार्ड होल्डर का आधार भी इससे लिंक हैं इसलिए गड़बड़ी की गुंजाइश कम है।

चौंकाने वाली बात ये है कि यूपी में एक ही आधार कार्ड को अलग अलग जगह पर राशन कार्ड से लिंक करके राशन निकाल लिया गया। एक महीने में 859 आधार कार्ड्स को एक लाख 86 हजार बार से ज्यादा इस्तेमाल किया गया।

इंडिया संवाददाता रुचि कुमार ने इस केस में पूरी डीटेल ली, सप्लाई ऑफिसर्स से पता किया कि यूपी में कहां-कहां कितनी चोरी हुई है, लिस्ट लेने के बाद रुचि सप्लाई ऑफिसर्स से उन्हें एक ऐसे राशन शॉप का पता चला जहां एक ही आधार कार्ड पर 110 बार राशन निकाला गया था। लेकिन टीम जब वहां पहुंची तो वो फरार हो चुका था।

दरअसल योगी सरकार ने पिछली सरकार में बने तीस लाख फर्जी राशन कार्ड रद्द किए थे, तब ये पता चला था कि कई ऐसे लोगों के नाम राशन कार्ड जारी किए गए थे, जिन्हें ना तो पब्लिक डिस्ट्रिब्यूशन सिस्टम के जरिए राशन की जरूरत नहीं है, ना ही वो इसके लिए योग्य हैं।

आगे ऐसी ऐसी गड़बडी ना हो, गरीबों के हक का अनाज कोई और ना खाए, इसके लिए सरकार ने इसे बायोमेट्रिक सिस्टम से जोड़ दिया था। नए सिस्टम में राशन लेने के लिए आधार नंबर देना जरूरी हो गया था लेकिन गरीबों का राशन चुराने वालों ने गरीबों के आधार कार्ड की बजाए, अपना आधार कार्ड उनके राशन कार्ड से लिंक करके सरकारी दुकानों से सस्ता राशन लेकर खुले बाजार में बेच दिया।

हांलाकि जो सरकारी दुकानों के कोटेदारों का दावा है कि उनके लेवल पर ये संभव ही नहीं है, क्योंकि सारा काम ऑनलाइन होता है। एक कार्ड पर एक बार राशन लेने के बाद उसी आधार कार्ड पर दुबारा राशन नहीं मिल सकता इसलिए ये गड़बड़ी अफसरों के लेवल पर हुई है।

सबसे बड़ा घोटाला इलाहाबाद में हुआ। यहां 107 आधार कार्ड के जरिए साढ़े सैतीस हजार यूनिट सरकारी अनाज निकाला गया। इसमें 323 कोटेदारों की मिलीभगत की बात सामने आयी है। उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू हो चुकी है, नोटिस भेजा जा चुका है।

सरकार के इस फैसले से राशन की दुकान चलाने वाले, कोटेदार परेशान हैं, चार सौ से ज्यादा कोटेदारों के खिलाफ केस दर्ज हो चुका है। उनके खिलाफ नोटिस जारी हो चुका है।

कोटेदारों का कहना है कि उनके पास तो ये तय करने का अधिकार ही नहीं है कि किसे राशन देना है और किसे नहींये सारे काम तो सप्लाई इंस्पेक्टर करते हैं।

पूरा डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम ऑनलाइन है, पासवर्ड प्रोटेक्टेड है, और कोटेदारों के पास ना तो उसका पासवर्ड होता है ना ही उसे ऑपरेट करने का अधिकार, इसलिए उनके लेवल पर घोटाला मुमकिन नहीं है।