यूरोपीय संघ से अधिकारिक तौर पर फिलिस्तीन राज्य को स्वीकार करने की उठी मांग

गाजा : महमूद अब्बास ने विदेशी मंत्रियों से मिलते हुए यूरोपीय संघ से अधिकारिक तौर पर फिलिस्तीन राज्य को स्वीकार करने की मांग की. यह बातें एक वरिष्ठ अधिकारी ने फ्रांसीसी प्रेस एजेंसी को बताया। फिलिस्तीनी विदेश मंत्री रियाद अल-मल्की ने कहा कि “अब्बास ईयू को बताएंगे कि हमें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के फैसले के जवाब में यह कदम उठाना चाहिए, जो की पिछले साल लिया गया था, जिसमे ट्रम्प ने घोषणा की थी की वह इसराइल की राजधानी के रूप में जेरुसलम को मान्यता देते हैं.”

मल्की ने ब्रुसेल्स में एएफपी के साथ एक इंटरव्यू में कहा की “महमूद अब्बास भी मिडिल ईस्ट में शांति प्रक्रिया के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराएंगे.” कुछ दिनों पहले अब्बास ने ट्रम्प के प्रयासों की निंदा कर ट्रम्प के फैसले को “सदी का थप्पड़” कहा था. “ट्रम्प के फैसले ने खेल के नियमों को बदल दिया है, इसलिए अब्बास को उम्मीद है कि यूरोपीय विदेश मंत्रियों के आगे आने और सामूहिक रूप से फिलिस्तीन की स्थिति को ट्रम्प के फैसले पर प्रतिक्रिया देने के तरीके के रूप में स्वीकार करना चाहिए.”

जॉर्डन के राजा अब्दुल्ला ने कहा की “पूर्वी जेरुसलम को फिलिस्तीन की राजधानी बनाना होगा.” अम्माम में यूएस वाइस माइक पेंस के साथ बातचीत के दौरान, जॉर्डन राजा ने कहा कि “इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष का एकमात्र समाधान दोनों देशों को एक करना है.” 1967 के अरब-इजरायल युद्ध के दौरान जॉर्डन ने पूर्वी जेरुसलम और वेस्ट बैंक को खो दिया था. उन्होने कहा  इजरायल को दी गयी इस मान्यता से अमेरिका की नीति का उल्लंघन हुआ है, जिसमे की फिलिस्तीनी पूर्वी जेरुसलम को अपनी राजधानी के रूप में देखते हैं. किंग अब्दुल्लाह ने कहा की “अमेरिका के इस कदम से कट्टरवाद बढेगा और मुस्लिम और ईसाईयों में तनाव पैदा होगा.”

उन्होंने कहा की “हमारे लिए जेरुसलम मुसलमान और ईसाईयों और यहूदियों के लिए शांति की कूंजी है. उन्होंने कहा “मुसलमानों को कट्टरपंथ के अपने मूल कारणों से प्रभावी ढंग से लड़ने की कुंजी है”.