यू पी में राहुल – उमा लफ़्ज़ी जंग

उत्तर प्रदेश में इंतेख़ाबी बगल बजते ही सयासी सरगर्मियों में शिद्दत पैदा होगई है और ये अपने उरूज पर पहूंच गई हैं। उत्तर प्रदेश मुल़्क की सब से बड़ी और सयासी एतबार से सब से अहम रियासत समझी जाती है और इस रियासत में सयासी साख को मुस्तहकम करने और अपने वोट बैंक को वुसअत देने केलिए हर जमात एक ख़ास हिक्मत-ए-अमली के तहत काम करती है और सारा ज़ोर सिर्फ़ किया जाता है । उत्तर प्रदेश ही वो वाहिद रियासत कही जा सकती है जहां इंतेख़ाबात के दौरान सब से ज़्यादा ताक़त और पैसा का चलन आम होता है और यहां राय दहिंदों को राग़िब करने के लिए हर तरह के स्वांग रचे जाते हैं।

यू पी की सयासी अहमियत को देखते हुए हर जमात यहां अपना अपना सिक्का चलाना चाहती है और इसी मक़सद केलिए कांग्रेस पार्टी ने भी अपने नौजवान जनरल सेक्रेटरी राहुल गांधी को यू पी की मुहिम सौंपी है । ये मुहिम गुज़शता इंतेख़ाबात से शुरू हुई थी और अब ये उरूज पर पहूंच चुकी है । उत्तर प्रदेश में पहले मरहला की मुहिम के दौरान राहुल गांधी कोई ख़ास असर नहीं दिखा सके और मायावती ने वहां इक़तिदार हासिल कर लिया था ।

अब चार साल से ज़्यादा के अर्सा में कांग्रेस पार्टी राहुल गांधी की मुहिम को आगे बढ़ाते हुए उसे सयासी तौर पर सारे मुल्क में मौज़ू बहस बनाने में कामयाब हुई है । गुज़शता पारलीमानी इंतेख़ाबात में कांग्रेस ने यू पी में जो मुज़ाहरा किया है इस के नतीजा में कांग्रेस पार्टी के हौसले बुलंद हो चुके हैं और उसे उम्मीद पैदा हो गई है कि एक तवील अर्सा के बाद कांग्रेस उत्तर प्रदेश में एक बार फिर कामयाबी की मंज़िलें तए करते हुए इक़तेदार हासिल करने में कामयाब हो जाएगी ।

कांग्रेस की ये उम्मीदें किस हद तक कामयाब होंगी ये तो वक़्त ही बताएगा ताहम राहुल गांधी भी अब बतदरीज तनाज़आत में घिरने लगे हैं। अब हिंदूस्तानी सियासत में सब से ज़्यादा लफ़्ज़ कही जाने वाली साध्वी उमा भारती के साथ उन की लफ़्ज़ी जंग शुरू होगई है । ये महिज़ सयासी फ़ायदा की जंग है और इस सारी लड़ाई का अवाम यह उन के मसाइल के हल से रास्त यह बिलवास्ता तौर पर कोई ताल्लुक़ ही नहीं है । दोनों भी एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश में मसरूफ़ होगए हैं और इस गैर मुताल्लिक़ा लफ़्ज़ी जंग से तशहीर दोनों ही का हिस्सा बन रही है ।

राहुल गांधी ने उमा भारती की मुहिम को निशाना बनाते हुए उन्हें बैरूनी रियासत से ताल्लुक़ रखने वाली ख़ातून क़रार दिया और कहा कि मध्य प्रदेश में जिन्हें ख़ुद उन की पार्टी ने बेदखल कर दिया था अब वो उत्तरप्रदेश में मुहिम चलाने आगई हैं। राहुल ने उमा भारती के ख़िलाफ़ कुछ और रिमार्कस भी किए । अब उमा भारती जो लफ़्फ़ाज़ी के लिए मशहूर हैं जवाबी वार पर उतर आई हैं और एक तरह से उन्हें राहुल और कांग्रेस पार्टी को निशाना बनाते हुए दुबारा सुर्खियों में आने का मौक़ा मिल गया है ।

उन्हों ने राहुल की तन्क़ीद के जवाब में इन की वालिदा और कांग्रेस की सदर सोनिया गांधी को निशाना बनाया है और कहा कि वो तो यक़ीनी तौर पर मध्य प्रदेश से ताल्लुक़ रखती हैं लेकिन वो बैरून मुल्क से नहीं आई हैं। इन का लाज़िमी हवाला सोनिया गांधी की जानिब था । ओमा भारती का कहना था कि हिंदूस्तान में जब बैरूनी मुलक यानी इटली से आने वाली ख़ातून को क़बूल किया जा सकता है तो फिर वो तो अपने ही मुल्क में पड़ोसी रियासत से आई हैं उन्हें क़बूल ना किए जाने का सवाल ही पैदा नहीं होता । इस तरह से ओमा भारती ने एक बार फिर सोनिया गांधी के बैरूनी नज़ाद होने का मसला उठाया है ।

ये एसा मसला है जिस ने कांग्रेस का मुसलसल तआक़ुब किया है । हालाँकि ये मसला बतदरीज ठंडा होगया है और जिन जमातों ने ये मसला इबतदा-ए-में उठाया था यह जन क़ाइदीन ने इस पर सवाल किया था अब वही क़ाइदीन और वही जमाअतें कांग्रेस के साथ इत्तिहाद कर चुकी हैं और इक़तेदार में हिस्सादारी निभा रही हैं। इस तरह से कांग्रेस पार्टी केलिए ये मसला अमला ख़तम हो चुका था लेकिन अब राहुल गांधी ने उमा भारती पर तन्क़ीद करते हुए इस मसला को एक बार फिर मौज़ू बेहस बनाने का उन्हें मौक़ा फ़राहम कर दिया है । उमा भारती और बी जे पी भी इस मसला को ख़ूब हुआ देने का मंसूबा रखती हैं।

ओमा भारती ने अब मज़ीद कहा है कि वो राहुल गांधी और डग वजए सिंह के गुरु। चेले के इत्तिहाद को शिकस्त दे कर रहेंगी । ओमा भारती ने इस रेमार्क से वाज़िह कर दिया है कि वो राहुल गांधी के साथ शुरू हुई लफ़्ज़ी जंग को इख़तताम तक जारी रखना चाहती हैं। ये भी वाज़िह है कि जब बी जे पी और उमा भारती की जानिब से बार बार इस पर तन्क़ीदें होती रहेंगी तो कांग्रेस के दीगर क़ाइदीन और ख़ुद राहुल गांधी भी इस का जवाब देने से गुरेज़ नहीं करेंगे ।

इस तरह ये जंग इंतेख़ाबी अमल के इख़तेताम तक जारी रहेगी । अफ़सोस की बात ये है कि दोनों क़ाइदीन की इस जंग का अवाम यह उन को दरपेश मसाइल से कोई ताल्लुक़ नहीं है । दोनों ही को उत्तरप्रदेश के अवाम की तरक़्क़ी को बुनियाद बनाते हुए इंतेख़ाबात में अवाम की राय हासिल करनी चाहीए थी । अवाम की फ़लाह-ओ-बहबूद का एजंडा पेश करते हुए उन की ताईद हासिल करने की कोशिश करनी चाहीए थी ताहम अब शख़्सी रिमार्कस और सयासी चालबाज़ेव नके ज़रीया अवाम को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है जिस का रियासत यह रियासत के अवाम की तरक़्क़ी से कोई ताल्लुक़ नहीं है और उत्तरप्रदेश के राय दहिंदों को यक़ीनी तौर पर इस सारी लफ़्ज़ी जंग का नोट लेना चाहीए।