नई दिल्ली 15 अक्टूबर: सरकरदा मुसन्निफ़ीन नयनतारा सहगल और शशी देशपांडे ने दादरी क़त्ल वाक़िया और ग़ुलाम अली के ग़ज़ल प्रोग्राम की मुख़ालिफ़त करने की वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी की तरफ से पुरज़ोर मज़म्मत किए जाने के बाद कहा कि ये मुल़्क सिर्फ़ हिंदूओं का नहीं बल्कि तमाम हिंदुस्तानियों का है।
हमें बढ़ते हुए तशद्दुद के पेश-ए-नज़र हिंदुस्तानियों का तहफ़्फ़ुज़ करना चाहीए। एक बयान में सहगल ने कहा कि ये मुल़्क तमाम हिंदुस्तानियों का है और हमें तमाम हिंदुस्तानियों की हिफ़ाज़त करने की ज़रूरत है। हुकूमत अपनी ज़िम्मेदारीयों पर ग़ौर करे और हर मज़हब का एहतेराम करे। हमारे समाज ने ही हमें विक़ार बख़्शा है। एसे वाक़ियात हरगिज़ नहीं होने चाहीए।
सहगल ने मुल्क में बढ़ती हुई अदम रवादारी के ख़िलाफ़ एहतेजाज करते हुए साहित्य एकेडेमी एवार्ड वापिस किया था। 88 साला अदीबा ने कहा कि तशद्दुद में इज़ाफ़ा हो रहा है और कई अवाम अपने मुस्तक़बिल के ताल्लुक़ से फ़िक्रमंद हैं। उन्होंने महात्मा गांधी के पसंदीदा क़ौल का हवाला दिया और कहा कि रवादारी के जज़बे पर अमल करना चाहीए। वज़ीर-ए-आज़म को भी इस की पाबंदी करनी होगी।
बैंगलौर के मुसन्निफ़ शशी देशपांडे ने जो साहित्य एकेडेमी की जनरल कौंसिल से मुस्तफ़ी हुए हैं, कहा कि मोदी ने दादरी क़त्ल वाक़िये को बदबख्ताना क़रार देते हुए बहुत ही कमज़ोर लफ़्ज़ का इस्तेमाल किया है। बदबख्ताना लफ़्ज़ निहायत ही कमज़ोर है और मुल्क के लीडर को मुल्क के अंदर होने वाले वाक़ियात की अख़लाक़ी ज़िम्मेदारी क़बूल करनी होगी।
साहित्य एकेडेमी एवार्ड्स वापिस करने वाले मुसन्निफ़ीन की सफ़ में शामिल होते हुए शायर के के दारू वाला ने कहा कि वो भी अपना एवार्ड वापिस कर रहे हैं। उन्होंने साहित्य एकेडेमी पर तन्क़ीद की के वो अपने अदीबों के साथ नहीं हैं बल्कि सियासी दबाव में आरहा है। नयनतारा सहगल और अशोक वाजपाई के बिशमोल अब तक 28 मुसन्निफ़ीन ने अपने एकेडेमी एवार्ड्स को वापिस करने का फ़ैसला किया है। इस अदबी इदारा से पाँच मुसन्निफ़ीन ने इस्तीफ़ा दे दिया है।