योग की मुखालफत करने वालो का होगा बुरा अंजाम: RSS

योग दिवस पर मुखालफत करने वाली सियासी और गैर सियासी दोनों तरह की जमात को आड़े हाथों लेते हुयें संघ के मुखपत्र ऑर्गेनाइजर ने सोमवार (27 जून) के अंक में लिखा है कि पूर्वाग्रह से ग्रसित विरोध करने वाले लोगों को इसके दुष्परिणाम भुगतने होंगे जिनमें उनका राजनीतिक खात्मा होना शामिल है।

Facebook पे हमारे पेज को लाइक करने के लिए क्लिक करिये

ऑर्गेनाइजर के संपादकीय में कहा गया, ‘दुर्भाग्यवश राजनीतिक रूप से उलटे लटके लोग नहीं समझ पाएंगे कि शीर्षासन अस्वाभाविक जीवनशैली से पार पाने का एक अप्राकृतिक तरीका है। उसे निश्चित समय से अधिक करने और वह भी अवैज्ञानिक तरीके से करने से कई दुष्परिणाम हो सकते हैं।’

इसमें कहा गया, ‘हठयोग के धर्मनिरपेक्ष एवं साम्यवादी अभ्यासकर्ता इस बात को समझने को तैयार नहीं है कि यह न तो भाजपा के बारे में है और न मोदी के बारे में। यह पूरी तरह से भारत के बारे में है तथा एक सांस्कृतिक विरासत है जो स्वाभाविक रूप से हिन्दू है।’

संपादकीय के अनुसार, ‘यदि उन्होंने इसे गलत आसन करके समाप्त करने की कोशिश की तो उन्हें यही परिणाम भुगतना पड़ेगा कि उनका राजनीतिक खात्मा हो जाएगा। इस बात को वे जितना जल्द समझ जाए, उतना ही उनके लिए बेहतर होगा। साथ ही उनके राजनीतिक स्वास्थ्य एवं अस्तित्व के लिए भी बेहतर होगा।’

आरएसएस समर्थक पत्रिका ने कहा कि कुछ लोगों ने योग दिवस का या तो बहिष्कार करना पसंद किया और इसे भारतीय जड़ों से मिटाने का प्रयास किया। अब वे इसके दुष्परिणाम जाने बिना इसी तरह के आसन कर रहे हैं। ‘राजनीतिक चश्मा लगाकर शीर्षासन’ शीर्षक इस संपादकीय में कहा गया कि जब दूसरे अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सभी संरा सदस्य देशों द्वारा अधिक भागीदारी देखी गयी तो कुछ लोग ने ‘तथाकथित धर्मनिरपेक्ष’ एवं ‘मोदी विरोधी’ चश्मों के साथ विरोध स्वरूप शीर्षासन करना पसंद किया।