यूरोज़ोन के मसाइब ( मुसीबतें) वुज़राए ख़ारिजा हिंद-ओ-जर्मनी की बातचीत पर छाये रहे, जो नई दिल्ली में मुनाक़िद ( आयोजित) हुई। वज़ीर-ए-ख़ारजा ( विदेश मंत्री) एस एम कृष्णा ने कहा कि योरोपी ममालिक का उभरता हुआ बैंकिंग बोहरान ( संकट) आलमी मआशी फ़रोग़ ( सांसारिक जीविका संबंधी ) का गला घोंट सकता है।
मुशतर्का प्रेस कान्फ्रेंस से ख़िताब ( संबोधन) करते हुए उन्होंने कहा कि इससे आलमी मआशी फ़रोग़ के तिजारत-ओ-फ़ीनांस निज़ाम मुतास्सिर ( प्रभावित) हो सकते हैं। उन्होंने अपील की कि वसाइल ( साधन) की बुनियाद को बैंकों की कसीर जहती तरक़्क़ी के लिए वुसअत ( ताकत) दी जाये।
वज़ीर-ए-ख़ारजा जर्मनी विस्टरवेले ( Westerwelle) ने एस एम कृष्णा से कहा कि जर्मनी के लिए यूरोप के मुस्तक़बिल ( भविष्य) की ख़ातिर सख़्त जद्द-ओ-जहद करनी होगी, लेकिन उन्होंने उम्मीद और भरपूर एतिमाद ( यकीन) ज़ाहिर किया कि क़र्ज़ के बोहरान (संकट) से निमट लिया जाएगा।
वीस्टरवेले (Westerwelle) के साथ एक मुशतर्का प्रेस कान्फ्रेंस मिस्टर एस एम कृष्णा ने कहा कि उन्होंने मुंदरजा बाला मौज़ूआत पर तफ़सीली तबादला-ए-ख़्याल किया । मुंदरजा बाला मौज़ूआत दोनों ममालिक ( देशों) के दो रुख़ी ताल्लुक़ात में अहम रोल अदा कर सकते हैं ।
जर्मन वज़ीर-ए-ख़ारजा ने अपने एक बहियाँ में कहा कि इन का मुल्क हिंदूस्तान के इस नज़रिया से बिलकुल मुत्तफ़िक़ ( सहमत) है जिस के तहत अक़वाम-ए-मुत्तहिदा (UN) के ढांचा में इस्लाहात लाना वक़्त की अहम ज़रूरत है । वीस्टरवेले के मुताबिक़ अब वक़्त बदल चुका है ज़ाहिर है कि वक़्त बदलने के साथ साथ सूरत-ए-हाल भी बदल जाती है ।
अक़वाम-ए-मुत्तहिदा ( UN) के मौजूदा निज़ाम और सलामती कौंसल की मुस्तक़िल रुकनीयत को आलमी सतह पर पाए जाने वाले मौजूदा हालात की नुमाइंदगी करना चाहीए । अफ़्ग़ानिस्तान के मौज़ू ( विषय) पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जर्मन 2014 तक अफ़्ग़ानिस्तान से नहीं निकलेगा हालाँकि 2014 के बाद अफ़्ग़ानिस्तान से तख़लिया (खाली) करना है लेकिन इसके बावजूद अफ़्ग़ानिस्तान में देरपा ( मजबूत) इस्तेहकाम के लिए जर्मनी अफ़्ग़ानिस्तान की सियोल इम्दाद करता रहेगा और साथ ही साथ फ़ौजी तर्बीयत भी फ़राहम करते रहेगा ।
जर्मनी हिंदूस्तान की इस कोशिश की सताइश करता है । जहां हिंदूस्तान जल्द ही पराईओट सैक्टर कान्फ़्रैंस की मेज़बानी करेगा ताकि अफ़्ग़ानिस्तान में ज़्यादा से ज़्यादा ख़ानगी सरमाया कारी ( निजी पूँजी निवेश) करने वालों को राग़िब (आकर्षित)किया जा सके ।