योरोपी यूनीयन- ईरान

योरोपी यूनीयन ने आलमी सतह पर अपने रोल को जांबदाराना बनाकर इफ़ादीयत घटा ली है। तरक़्क़ी याफ़ता ममालिक में सब से अच्छी बात ये हुआ करती थी कि ये ममालिक अपने अवाम की भलाई के इलावा सारी दुनिया में भी भलाई के कामों का ख़्याल रखते मगर आलमी ताक़तों में मग़रिब ने अपना असर दिखाया और अमेरीका ने इस असर का ग़लत इस्तिमाल शुरू किया तो योरोपी यूनीयन भी इस के ताबे हो गई।

ईरान के मसला पर यूरोप को इतनी शदीद तशवीश हो रही है कि अब तशवीश के मुआमले में इस ने अमरीका को ही पीछे छोड़ दिया है। ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम को मसला बनाकर आलमी ताक़तों ने अब तक जिस तरह की सख़्तियां पैदा की हैं इस के बावजूद ईरान ने अपना मौक़िफ़ नरम रख कर मुज़ाकरात के अमल को तर्जीह दी है। इस के तेल पर योरोपी यूनीयन ने पाबंदी आइद की तो इस ने किसी तशवीश का इज़हार नहीं किया।

हाल ही में तुर्की के वज़ीर-ए-ख़ारजा अहमद दाउद ओगलो ने वज़ीर-ए-ख़ारजा ईरान अली अकबर सालही से मुलाक़ात की थी तर्क मेहमान की मौजूदगी में अकबर सालही ने योरोपी यूनीयन के सामने वाज़िह करदिया कि ईरान को इस के ख़िलाफ़ की जाने वाली मुआनिदाना कार्यवाईयों की कोई फ़िक्र नहीं होती इस ने आलमी ताक़तों की हर तरह की तहदीदात का सामना किया है मगर तशवीश की एक लकीर भी पेशानी पर नमूदार होने नहीं दी।

ईरान को गुज़श्ता 32 बरस से इस तरह की आलमी आंधी और ज़्यादतियों का सामना है इस के बावजूद ईरान पूरे इस्तिक़ामत सब्र-ओ-तहम्मुल से मसाइल से निमटने में कामयाब हो रहा है। ईरान के तेल पर योरोपी यूनीयन की पाबंदीयों का हर इंसाफ़ पसंद मुलक मुख़ालिफ़त करेगा क्योंकि ये तहदीदात बिलाशुबा एक मलिक के ख़िलाफ़ मआशी जंग के मुतरादिफ़ हैं।

आलमी मआशी बोहरान की ज़द में आने के बावजूद अमरीका और योरोपी यूनीयन दूसरों को तंग करने की आदत को तर्क नहीं किया है। कसादबाज़ारी और मालीयाती बोहरान ने मग़रिब को कंगाल होने के दहाने पर पहूँचा दिया है। इस के बावजूद ये ममालिक अपनी तबाही से बच निकलने की फ़िक्र करने से ज़्यादा अरब मुल्कों को कमज़ोर करने पर तवज्जा दे रहे हैं।

आलमी ज़्यादतियों के बावजूद ईरान ने सिर्फ ये कहा है कि वो आबनाए हुर्मुज़ को बंद करदे तो मग़रिबी ममालिक का दाना पानी बंद हो जाएगा। आबनाए हुर्मुज़ की तंग राह से गुज़रने वाला आलमी ताक़तों का तेल अगर रोक दिया जाय तो उन मुल्कों में सूरत-ए-हाल किस हद तक अबतर होगी ये अंदाज़ा करके ही माहिरीन को तशवीश हो रही है ।

शायद ईरान की इस धमकी का ही नतीजा है कि योरोपी यूनीयन ने मुज़ाकरात की एक राह तलाश करने की कोशिश की है। ईरान ने अब नए हुर्मुज़ में फ़ौजी मश्क़ों और मीज़ाईल तजुर्बात के ज़रीया ख़ौफ़ज़दा तो कर दिया है अब आइन्दा मज़ीद फ़ौजी मश्क़ों की तैयारीयां ईरान और यूरोप के लिए भाग दौड़ करने के सिवा कुछ नहीं होंगी। अमरीका और यूरोप की नई मआशी तहदीदात ख़ुद उन के लिए नुक़्सान का बाइस होसकती हैं।

इस नाज़ुक मसला की संगीनी को भाँप कर ही योरोपी यूनीयन के ख़ारिजा पालिसी के सरबराह कीथरबन ऑस्टन ने तुर्की के सिफ़ारती चिया नलों को इस्तिमाल करते हुए 6 आलमी ताक़तों और ईरान के दरमयान न्यूक्लियर मुज़ाकरात के इमकानात को फ़रोग़ देने की कोशिश की है। ये तेहरान के लिए भी बेहतर मौक़ा है कि वो यूरोप के साथ मुज़ाकरात को मुसबत सिम्त में ले जाने की शुरूआत करे।

तुर्की के वज़ीर-ए-ख़ारजा अहमद दाउद ओगलो का दौरा तहरान यूरोप के साथ ईरान के न्यूक्लियर मुज़ाकरात के आग़ाज़ का पहला क़दम मुतसव्वर किया जाय तो ख़ुश आइंद है। ईरान के आला न्यूक्लियर मुज़ाकरात कार सईद जलीली ने भी नए दौर की मुज़ाकरात के लिए आलमी ताक़तों को दावत दी है। किसी भी मुल्क में मआशी जंग के असरात मुनासिब नहीं होती। इस से हर कोई मुतास्सिर होता है।

लिहाज़ा बेहतर कोशिश यही है कि ईरान और यूरोप को मिल कर अपने मौजूदा ग़ैर मुवाफ़िक़ हालात या फ़िज़ा को ख़ुशगवार बनाने की कोशिश करनी चाहीए। 6 आलमी ताक़तों को ईरान के मुआमला में तआवुन की राह इख़तियार करनी होगी। इस के इलावा तुर्की और ब्राज़ील को भी मुज़ाकरात की परज़ोर हिमायत करते हुए उन्हें बहरहाल यक़ीनी बनाना होगा।

अगर ये बातचीत ख़ुद तुर्की की मेज़बानी में होती है तो इस से अच्छा मुक़ाम कोई और नहीं हो सकता। तुर्की न्यूक्लियर मुज़ाकरात के लिए ईरान और दीगर 6 आलमी ताक़तों को अपने हाँ मदऊ कर सकता है। रूस भी मुज़ाकरात को फ़रोग़ देने का मुतमन्नी होतो कशीदगी में कमी आएगी मगर आलमी ताक़तों की यकतरफ़ा रए या तजावीज़ को ज़बरदस्ती मुसल्लत करने की कोशिश की गई तो इस तरह के मुज़ाकरात का कोई नतीजा बरामद नहीं होगा।

जैसा कि सदर ईरान महमूद अहमदी नज़ाद ने अपने रूसी हम मंसब डैमते मीडीडोफ़ से बातचीत करके उन के मुल्क के न्यूक्लियर प्रोग्राम के बाइस उठने वाले तूफ़ान को थामने और बोहरान को हल करने के लिए सिफ़ारती सतह पर मास्को की कोशिशों की हिमायत की। ईरान के साथ मुज़ाकरात के लिए एक साल पहले भी कोशिश की जा चुकी है।

इस्तंबोल में हुई ये मुज़ाकरात अगर चीका नाकाम रही मगर इस मर्तबा न्यूक्लियर मुज़ाकरात के लिए जारी ताज़ा कोशिशों की माज़ी के तजुर्बा की रोशनी में बाअज़ रुकावटों को पहले ही दूर करके मुज़ाकरात की मेज़ पर पहूंचना चाहीए। योरोपी यूनीयन को अपना ज़हन साफ़ रखना ज़रूरी है। मुज़ाकरात में किसी पेशरफ़त और मुसबत पहलू बरामद करने केलिए दलों और ज़हनों का साफ़ होना लाज़िमी है। इस में 6 आलमी मुज़ाकरात कारों का ग़ैर जांबदाराना रवैय्या भी बातचीत की कामयाबी की कलीद साबित होगा।