यौमे आशुरा पर गैर शरई अमल रोकने की ज़रूरत

मुस्लिम एक्शन कमेटी के सदर डॉक्टर हमीद रज़ा ने एक प्रेस कोन्फ्रेंस बयान जारी करके कहा है की मुहर्रम उल हराम इस्लामी कलेंडर का पहला महिना है, इसकी अपनी अहमियत है लेकिन उन तमाम से ऊपर तहफ्फुज इस्लाम के लिए इमाम हुसैन की कर्बला के मैदान में वाकिया शहादत है। उन्होने कहा की हज़रत इमाम हुसैन ने अपने पूरे कुनबे के साथ मैदान कर्बला में शहादत पेश किया। जिसके लिए ये महिना पूरी दुनिया में याद किया जाता है। ये वाकिया आलीमूल इस्लाम को कुर्बानी देने का सबक सिखाता है। ताकि जब कभी कोई ऐसा वक़्त आ पड़े तो मुसलमान दीने मजहब और क़ौम व मिल्लत की हिफाजत के लिए अपने जान व माल की कुर्बानी देने में पीछे नहीं रहे।

उन्होने कहा की बहुत ही अफसोस का मुकाम है की पटना की सरजमीं पर इस मौके पर लोग बैंड बाजे के साथ जुलूस निकालते हैं, शराब नोशी तो करते ही हैं और नाचते गाते भी हैं जो कतयी इस्लाम मुखालिफत और शहादत इमाम हुसैन की बेहुरमाती है। उन्होने मूआशरे के ऐसे लोगों से इस सिम्त में पेशे रफ़त करने की दरख्वास्त करते हुये कहा की पटना में जितनी भी मुहर्रम कमेटियाँ हैं, उनके मेंबरान से राबता किया जाये और उन्हे समझाने की कोशिश की जाये ताकि इस तरह की नाज़ेबां और गैर शरयी हरकत को रोका जा सके और आने वाली नसल भी इस दिन की अहमियत को समझ सकें।