रईस अंसारी ( लखनऊ )

उन्हीं के सदक़े में मुझ को ये रिज़्क मिलता है

मैं जिन परिन्दों को दाना खिलाया करता था

पड़ा हुआ है वो ठोकर में देख दुनिया की

जो हम गरीबों को ठोकर लगाया करता था

जलील अज़हर (निर्मल)