रईस अंसारी

कोई दरख़्त कोई साइबां रहे ना रहे

बुज़ुर्ग ज़िंदा रहें आसमां रहे ना रहे

हमें तो पढ़ना है मैदान जंग में भी नमाज़

मोअज्ज़नो के लबों पर अज़ां रहे ना रहे

जलील अज़हर (निर्मल)