इन्फोर्मेशन टेक्नालजी मामले में झारखंड एक कदम आगे बढ़ गया है। 21 दिसंबर से ई-रजिस्ट्री सिस्टम काम करने लगेगा। इससे ट्रांसप्रेनस्य आयेगी। दलालों से बचने में मदद मिलेगी। लोग घर बैठे इंटरनेट के जरिये जमीन रजिस्ट्री से मुतल्लिक़ कागजात की कॉपी पा सकेंगे। इससे आम लोगों को फाइदा मिलने के साथ ही रियासत के आमदनी में भी इजाफा होगी।
झारखंड में यह पहली बार हो रहा है। अब लोग अपने घर में ही तमाम तरह की रजिस्ट्री डीड की कॉपी ऑनलाइन पा सकते हैं। इसके अलावा शादी बियाह से मुतल्लिक़ और दीगर रजिस्ट्री डीड की सर्टिफाइड कॉपी पाने से मुतल्लिक़ अमल की मर्कज़ी मॉनिटरिंग भी मुमकिन है। कोई भी इन्हें ऑनलाइन सर्च कर सकता है। पहले यह सारे काम दलालों, एजेंटों और भ्रष्ट बाबुओं के हाथों थे। चीफ़ सेक्रेटरी आरएस शर्मा का सोच है कि असल रैयतों खास कर आदिवासियों की क़तल और यर्गमाल की जड़ में उनकी जमीन रही है। जाली कागजात और फरजी तरीके से उनकी जमीन का ट्रांसफर होता रहा है।
अब वेब आधारित सिस्टम से ऐसा नहीं किया जा सकता। दरअसल यह इलेक्ट्रॉनिक (ई) बुनियाद ई-रजिस्ट्री सिस्टम के जरिये मुमकिन होगा। इन्फोर्मेशन टेक्नालजी वज़ीर अत्रपूर्णा देवी 21 दिसंबर को होटल बीएनआर में इस सिस्टम का इफ़्तेताह करेंगी। दरअसल ई-रजिस्ट्री प्रोजेक्ट की शुरुआत साल 2008 में जमशेदपुर से हुई थी। इसके बाद इसे पूरे रियासत में लागू किया गया है।