रजिस्थान: अलवर जिले के किशनगढ़ बास के साहूबास में मुस्लिम गोपालक सुब्बा खान की 51 गायों को कथित गौरक्षकों के द्वारा पुलिस की मिलीभगत से बंबोरा गौशाला में जमा कराने के मामले में नया मोड़ उस वक़्त आया जब पुलिस की जांच रिपोर्ट में साबित हो गया है कि सुब्बा खान गौतस्कर नहीं हैं
थानाधिकारी की रिपोर्ट पर एसडीएम किशनगढ़ बास ने थानाधिकारी और गौशाला प्रबंधन को मुस्लिम गोपालक सुब्बा खान को गाय रिलीज करने के आदेश जारी कर दिए हैं. वहीं,
गौशाला में एक गाय की मौत हो चुकी है. गौशाला प्रबंधन का कहना है गाय बीमार थी इसलिए उसकी मौत हो गई है.
इससे प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो रहा है कि आखिरकार 13 दिन तक इस प्रकरण को क्यों लंबित रखा गया और दूध देने वाली गाय और बछड़े को इतने दिन तक अलग-अलग रखा गया. इसके लिए जिम्मेदार कौन है.
गौशाला प्रबंधन के द्वारा कहा गया कि गाय पुलिस के द्वारा लाई गई थी और गौ तस्करी में पकड़ी हुई गायों को जमा कराया जाता है, लेकिन अब पुलिस और एसडीएम के जो भी आदेश होंगे उसके बाद गायों को रिलीज कर दिया जाएगा.
गौशाला के अध्यक्ष श्री कृष्ण गुप्ता ने गायों को रिलीज करने के लिए एक दिन के प्रति गाय 200 रुपए का खर्च जमा कराने की बात कही है. इससे एक नया विवाद खड़ा हो गया है. मुस्लिम गोपालक सुब्बा को गौशाला से अपनी गाय लेने के लिए एक लाख से अधिक रुपए गौशाला में जमा कराने होंगे. इसके बाद उसकी गाय रिलीज की जाएंगी, जबकि उसकी एक गाय की मौत हो चुकी है.
गायों को जबरन छीनकर लाने और पुलिस की मौजूदगी होने के बावजूद अभी तक किसी भी दोषी पुलिस अधिकारी या कर्मचारी और तथाकथित गौरक्षकों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई है!