रब की रज़ा, माँ बाप की रज़ा में है

(क़ारी मुहम्मद याक़ूब अली ख़ां नक़्शबंदी) वालदैन की नाफ़रमानी अल्लाह तआला की नाफ़रमानी है और उनकी नाराज़गी अल्लाह तआला की नाराज़गी है। आदमी वालदैन को ख़ुश रखे क्योंकि माँ के पैर के नीचे जन्नत है। अगर हम वालदैन को नाराज़ रखेंगे तो हम दुनिया-ओ-आख़िरत में परेशान रहेंगे और अगर माँ बाप को राज़ी नहीं करेंगे तो कोई फ़र्ज़, कोई नफ़िल या कोई अमल ए सालिह अस्लन क़ुबूल ना होगा।

हज़रत माविया इब्ने जाहमा रज़ी० से रिवायत है कि उनके वालिद जाहमा हुज़ूर सैय्यद ए आलम स०अ०व० की ख़िदमत ए अक़्दस में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह! मेरा इरादा जिहाद में जाने का है, सरकार से मश्वरा लेने के लिए हाज़िर हुआ हूँ। इरशाद फ़रमाया क्या तेरी माँ ज़िंदा है?। अर्ज़ किया हाँ। आप ( स०अ०व०) ने फ़रमाया उसकी ख़िदमत करो कि जन्नत माँ के क़दमों के तले है।

(अहमद, निसाई, मिशकाह्)

सहन मस्जिद ए नबवी में दरबार ए रिसालत मआब स०‍अ०व० सजा हुआ था कि एक नौजवान हाज़िर हुआ। अर्ज़ करने लगा या रसूल अल्लाह स०अ०व० मैंने मन्नत मानी थी कि मेरा काम हो जाएगा तो में ख़ाना ए काअबा की दहलीज़ को बोसा दूंगा। अब काम हो चुका है। मदीना तैय्यबा से मक्का मुकर्रमा तीन सौ मील के फ़ासले पर है। ना हाथ में पैसे ना सेहत-ओ-तंदरुस्ती है। क्या करूं? मन्नत कैसे पूरी करूं? हुज़ूर सैय्यद ए आलम स०अ०व० ने फ़रमाया: घर चला जा, माँ के क़दमों को बोसा दे, मन्नत पूरी हो जाएगी, इसने बड़े अदब से अर्ज़ किया, या रसूल अल्लाह स०अ०व० मेरी माँ इंतेक़ाल कर चुकी है, मेरे लिए क्या हुक्म है? सरकार ए दो आलम स०अ०व० ने फ़रमाया : अगर वो इंतेक़ाल कर चुकी है तो क़ब्रिस्तान चला जा, माँ की क़ब्र को बोसा दे दे, मन्नत पूरी हो जाएगी, इस ने फिर अर्ज़ किया या नबी अल्लाह! मेरे बचपन में मेरी वालिदा फ़ौत हो चुकी थीं।

अब आप फ़रमाईए मुझे मालूम नहीं मेरी वालिदा की क़ब्र कहाँ है? फ़रमाया जिस क़ब्रिस्तान में हो उस क़ब्रिस्तान की किसी क़ब्र को माँ की क़ब्र तसव्वुर करे। पाँव की तरफ़ से बोसा दे दे , मन्नत पूरी हो जाएगी। वो नौजवान रोकर अर्ज़ करने लगा: मेरे आक़ा-ओ-मौला अल्लाह के हबीब स०अ०व० मुझे ये भी मालूम नहीं, मेरी माँ की क़ब्र कौन से क़ब्रिस्तान में है? तो आक़ा ( स्०अ०व०) ने फ़रमाया: अज़हब इला बैतिका अपने घर चला जा, ज़मीन पर एक लकीर खींच उस लकीर को माँ की क़ब्र तसव्वुर कर ले पाँव की तरफ़ से बोसा दे दे, मन्नत पूरी हो जाएगी।

सईद इब्ने मरियम कहते हैं कि मैंने हज़रत इब्ने अब्बास से जाकर पूछा कि आप ने उस आदमी से उसकी माँ की ज़िंदगी के बारे में क्यों पूछा तो हज़रत इब्ने अब्बास ने फ़रमाया कि माँ के साथ नेक सुलूक करने के इलावा मैं ऐसा कोई अमल नहीं जानता जो अल्लाह से ज़्यादा क़रीब कर दे।

जलील-उल-क़दर पैग़ंबर हज़रत सैय्यदना मूसा अलैहिस्सलाम एक मरतबा बारगाह ए ख़ुदावंदी में अर्ज़ करते हैं या अल्लाह मेरे साथ जन्नत में कौन होगा? अल्लाह ने फ़रमाया ऐ मूसा! फ़लां बस्ती का क़स्साब होगा। हज़रत मूसा कलीमुल्लाह बड़े हैरान हो गए कि ये मुआमला किया है, मैं उलिल अज़्म नबी और वो क़स्साब, ये कैसा जोड़।

ख़ैर आप इस क़स्साब की मुलाक़ात के लिए चल पड़े, चलते चलते उस बस्ती में पहुंचे, क़स्साब का पता लगाया तो वो दूकान पर बैठ कर गोश्त फ़रोख़्त कर रहा था। सैय्यदना मूसा अलैहिस्सलाम इससे मिले और फ़रमाते हैं: में तेरा मेहमान हूँ। इस ने कहा कि बैठ जाइए। सैय्यदना मूसा अलैहिस्सलाम बैठ गए और उसकी दुकानदारी देखने लगे। वो गोश्त भी बेच रहा है और बदकलामी भी कर रहा है।

सैय्यदना मूसा अलैहिस्सलाम कहते हैं। या अल्लाह! तू बड़ा बेनियाज़ है , पता नहीं तुझे कौन सी अदा पसंद आई। जब वो गोश्त फ़रोख़्त कर चुका और दूकान बंद कर दिया तो हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से कहने लगा मेरे साथ चलिए। घर पहुंच कर ख़ुद सालन तैयार किया, ख़ुद रोटी पकाई, हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं, में सोचने लगा कि अब खाना मेरे पास लाएगा मगर में हैरान हूँ, वो बोला: पहले उसका हक़ है, जिस ने बचपन में मेरी परवरिश की है। एक चटाई पर मेरी माँ सोई हुई है। मेरी माँ खाना खा नहीं सकती, क्योंकि मुँह में दाँत नहीं, खाना चबाकर अपनी माँ के मुँह में देता हूँ। माँ कहती है आबाद रह, में तुझ से ख़ुश हूँ। इस ने पहले अपनी माँ को खाना खिलाया और फिर सैय्यदना मूसा अलैहिस्सलाम के पास आकर कहने लगा ऐ मेहमान! अब तुम्हारा हक़ है। खाना खाया और सो गए। आधी रात के वक़्त हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम ज़िक्र ए इलाही के लिए उठे। देखा बढ़िया सजदा में सर रखे रो रही है। मूसा अलैहिस्सलाम ने कान लगाकर सुना तो वो रो रोकर कह रही थी या अल्लाह! में अपने बेटे से बहुत ख़ुश हूँ। ऐ अहकमुल हाकिमीन! तो इसके बुरे आमाल को ना देख, इसकी बदकलामी को ना देख, मेरे सफेद बालों को देख और अपनी रहमत फ़रमाकर उस को क़यामत के दिन हज़रत सैय्यदना मूसा कलीमुल्लाह अलैहिस्सलाम के साथ जन्नत में जगह देना।

मूसा अलैहिस्सलाम फ़रमाते हैं कि मैं समझ गया कि माँ की दुआ असर कर रही है। मेरे दोस्तो! माँ के क़दमों के नीचे जन्नत है। माँ की इज़्ज़त करो, माँ को गंदी ज़बान से ना बुलाया करो और अपने माँ बाप से अपने हक़ में दुआएं ख़ैर लिया करो।

हज़रत अब्बू हुरैरा रज़ी० ने कहा कि हुज़ूर स०अ०व० ने फ़रमाया कि उसकी नाक गुबार आलूद हो, उसकी नाक ख़ाक आलूद हो, उसकी नाक ख़ाक आलूद हो (यानी ज़लील-ओ-रुसवा हो)। किसी ने अर्ज़ किया या रसूल अल्लाह! वो कौन है?। हुज़ूर ने फ़रमाया जिस ने माँ बाप दोनों को या एक को बुढ़ापे में पाया फिर (उनकी ख़िदमत करके) जन्नत में दाख़िल ना हुआ। (मुस्लिम शरीफ़)

हज़रत अबू अमामा रज़ी० से रिवायत है कि एक शख़्स ने अर्ज़ किया: या रसूल अल्लाह माँ बाप का औलाद पर क्या हक़ है? फ़रमाया कि वो दोनों तेरी जन्नत दोज़ख़ हैं। यानी जो लोग उन को राज़ी रखेंगे जन्नत पाएंगे और जो उन को नाराज़ करेंगे दोज़ख़ के मुस्तहिक़ होंगे। (इब्ने माजा)

हज़रत अबदुल्लाह बिन उमर रज़ी० ने कहा कि हुज़ूर स०अ०व० ने फ़रमाया कि परवरदिगार की ख़ुशनूदी बाप की ख़ुशनूदी में है और परवरदिगार की नाराज़गी बाप की नाराज़गी में है। (तिरमिज़ी)