रमज़ान उल-मुबारक की क़दर करें

माहे रमज़ान उल-मुबारक के दौरान हम रमज़ान उल-मुबारक की ख़रीदारी करते हुए माहे सियाम के क़ीमती लमहात को बाज़ारों की नज़र ना करें और माहे रमज़ान के एक नेक अमल के बदले सत्तर नेकियां कमाने का एहतेमाम करें ।रमज़ान के लमहात के क़दर का ये मतलब हरगिज़ नहीं कि हम सजे सजाये दूकानों के ग्राहक बनें और हमारे क़ीमती लमहात अच्छे पकवान के अलावा मलबूसात की ख़रीदी हरगिज़ नहीं है क्यों कि हर साल में एक महीने में रमज़ान उल-मुबारक ज़रूर आता है क्या ग्यारह माह में हम रमज़ान की ख़रीदारी नहीं करसकते ?।अल्लाह ताली से दुआ ही का हम अहल ईमान को रमज़ान उल-मुबारक के क़ीमती लम्हों की क़दर करने वाला बना दे । आमीन