हैदराबाद 15 जुलाई : (रास्त) रमज़ान शरीफ़ नुज़ूल क़ुरआन, सोम-ओ-सलात और तज़किया नफ़स का महीना है।
इस मुबारक महीना में हम ऐसा लायेहा-ए-अमल बना लें ताकि हमारा एक लम्हा भी ज़ाए ना हो। मालूम नहीं कि आइन्दा रमज़ान तक हम ज़िंदा रहेंगे या फिर इस दुनियाए फ़ानी से कूच कर जाएं गे। अल्लाह ताला का इरशाद है कि जो दोज़ख़ से बचा लिया गया और जन्नत में दाख़िल किया गया है बेशक ऐसे ही लोग कामयाब और बामुराद हैं।
इन ख़्यालात का इज़हार कुल हिंद मर्कज़ी रहमत आलम कमेटी की 5 अगस्त को मग़लपोरा प्ले ग्रांऊड पर मुनाक़िद होने वाली बारहवीं लैलतुल कद्र कान्फ़्रैंस के ज़िमन में मुशावरती इजलास बमुक़ाम क़ादरिया इस्लामिक सैंटर दुबैर पूरा से मौलाना इक़बाल अहमद रिज़वी उल-क़ादरी ने किया।
मौलाना ने मौजूदा हालात की संगीनी पर निहायत अफ़सोस का इज़हार किया और कहा कि मौजूदा नसल रोज़ा का मक़सद ही भूल चुकी है। उन्होंने कहा कि हर इंसान अपने आमाल का मुहासिबा करते हुए देख लें और सोच लें कि रमज़ान उल-मुबारक में पहले से कितना ज़्यादा परहेज़गार होगया।
पहले की हालत में और अब में कितना फ़र्क़ है। मौलाना डाक्टर मुहम्मद अबदालनईम कादरी फ़ाज़िल जामिआ निज़ामीया (नायब सदर रहमत आलम कमेटी) ने कहा कि इस रमज़ान उल-मुबारक में अल्लाह ताला ने उमत मुस्लिमा के लिए क़ुरआन मजीद उतारा। मौलाना ने कहा कि अगर आज भी मुस्लमान क़ुरआन और साहिब क़ुरआन हज़रत नबी करीम मुहम्मद मुस्तफ़ा सिल्ली अल्लाह अलैहि-ओ-सल्लम के अहकामात पर सख़्ती से अमल पैरा होजाए तो हमारे सारे मसाइल हल होजाएंगे।
हर साल माह रमज़ान उल-मुबारक उमत मुस्लिमा के लिए रहमतों को साथ लेकर आता है जिन्हों ने इस माह की क़दर की वही इस से कमाहक़ा फ़ैज़ पा सकते हैं। मुहम्मद शाहिद इक़बाल कादरी (सदर रहमत आलम कमेटी) ने कहा कि कमेटी के अहम बुनियादी मक़सद में रियास्ती सतह से बिलख़सूस मसलक हक़ अहलसन्नत वालजमाअत की तरवीज-ओ-इशाअत, मुआशरा का सुधार, बुराईओं का ख़ातमा, बदकारियों के सद्द-ए-बाब और एक सालिह दीनदार मुआशरा की तशकील है।
इजलास में मुहम्मद अहमद ख़ान, मौलाना इशफ़ाक़ उल्लाह ख़ान, मुहम्मद असलम अशर्फ़ी, मुहम्मद अबदुलकरीम रिज़वी, मुहम्मद अबैदुल्लाह सादी, सय्यद उसमान कादरी, मुहम्मद उम्र फ़ारूक़, सय्यद अबदुर्रऊफ़ कादरी, हाफ़िज़ शेख़ हुसैन मुल्तानी, मुहम्मद यूनुस रिज़वी, मुहम्मद यूनुस बरकाती, सय्यद ताहिर हुसैन, सय्यद ग़ौस और अराकीन की कसीर तादाद ने शिरकत की। आख़िर में रक्त अंगेज़ दुआ , सलात-ओ-सलाम पर इजलास का इख़तताम अमल में आया।