रमज़ान इस सच्चाई से भी मुख़ातिब करवाता है..

मालिक की बारगाह में इबादत के ये लफ़्ज हिंदुस्तान की आबोहवा में घुले हुए है। अनेक मजहबों को अपने दामन में समेटे सरज़मी-ए-हिंदुस्तान की हर सुबह यूँ तो अजान के साथ भी होती है।

मगर माहे रमज़ान में मस्जिदों की मीनारों से अजान की गूंज फ़िज़ा में इस्लाम की बुलंदी और अल्लाह के नेक बन्दों के पाक दिलों की गवाही देती है। इस बरस रमज़ान 17 मई दिने जुम्मेरात से शुरू हो रहा है। आज के बाद दुनिया भर के मुस्लिम भाई पाक रमज़ान में इबादत करेंगे और पांच वक़्त की नमाज और रोज़े रखेंगे।

सहरी से शुरू हुआ दिन इबादत करते हुए बीतेगा और शाम रोज़ा इफ़्तार के समय सभी ख़ुदा को शुक्रिया करते हुए दुनिया की सलामती की दुआ के साथ माहे रमज़ान में सवाब कमाएंगे।

रमजान भर ऱोजे रखकर इबादत के साथ ईद का इंतज़ार किया जाता है. पाक रमज़ान में दुनियाभर के साथ साथ हिंदुस्तान की हर गली में सुबह शाम मिलाकर पांच वक़्त के नमाज़ी, सहरी और रोज़ा इफ्तार के लिए बड़ो और बच्चों की आवाजाही लगी रहती है।

अल्लाह को अपने नेक कामों से रूबरू करवाने की कोशिश और भाग दौड़ भरी जिंदगी से कुछ पल ठहरकर इबादत की ओर रुख करने का नाम ही है ”पाक माहे रमज़ान” रमज़ान इस सच्चाई से भी मुख़ातिब करवाता है कि-”अल्लाह बहुत बड़ा है, मैं गवाही देता हूँ कि… अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक नहीं, मैं गवाही देता हूँ कि.. मुहम्मद (PBUH) अल्लाह के रसूल{दूत} हैं, आओ नमाज़ की तरफ़ आओ नमाज़ की तरफ़”।