रमज़ान के महीने में रोज़े रखकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल क़ायम किये हुए हैं हनुमान भक्त लालबाबू

गोरखपुर: गोरखपुर निवासी लालबाबू जो ख़ुद को हनुमान का भक्त कहते हैं लगातार 29 साल से रमज़ान के महीने में रोज़े रखकर सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल क़ायम किये हुए हैं |

उन्होंने कहा कि मेरा मानना है ईश्वर एक है विभिन्न धर्मों के विविध तरीकों से उस की पूजा की जाती है और मुझे यक़ीन है कि ऐसा करने से प्रभु हनुमान मुझसे नाराज़ नहीं होते हैं |
शहर के उर्दू बाजार इलाके में एक खिलौने की दुकान चलाने वाले लालबाबू ने टाइम्स ऑफ इंडिया के साथ अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि, मेरे पिता स्वर्गीय गंगा प्रसाद ने एक बार कसम खायी थी कि अगर मुझे ख़ुद की दुकान मिल गयी तो में रोज़े रखूँगा | अपनी इच्छा पूरी होने के बाद उन्होंने सारी ज़िन्दगी रमज़ान के महीने में रोज़े रखे | मैंने ईश्वर से  औलाद की मन्नत मांगी थी और क़सम खायी थी कि अगर मेरी इच्छा पूरी हुई तो मैं रमज़ान के पहले 10 दिन के रोज़े रखूँगा | ईश्वर ने मेरी इच्छा पूरी की और अब मैं पिछले 29 सालों से रमजान के पहले 10 दिनों में रोज़े रखता हूँ |

उन्होंने कहा कि मैं भगवान हनुमान का भक्त हूँ और मैंने कभी भी मंगलवार की पूजा नहीं छोड़ी है और मैंने कभी महसूस नहीं किया कि हनुमान जी मेरे रोज़े रखने से नाराज़ हुए हों | ईश्वर एक है और हम उसे विभिन्न अवतारों में देखते हैं | मैं एक हिन्दू होने के नाते अपने धर्म का पालन करता हूँ लेकिन रोज़ा रखना मेरी आस्था के ख़िलाफ़ नहीं है | लालबाबू रमजान के दौरान दान भी करते हैं उनका कहना है कि ये  पवित्र महिना सिर्फ उपवास के लिए नहीं है बल्कि ये पवित्र जीवन जीने और दूसरों की मदद करने के लिए भी है | मैं रमज़ान के दौरान विशेष रूप से मंगलवार (भगवान हनुमान को समर्पित) को दान भी करता हूँ |

उन्होंने कहा कि मैं हर किसी को समझाना चाहता हूँ कि रमजान के महीने में मंगलवार को दान करने से मेरी मेरी समृद्धि में पिछले 29 वर्षों में कई गुना वृद्धि हुई | सभी धर्मों की अच्छी बातों का पालन करने से हमारी आस्था में कोई परिवर्तन नहीं होता बल्कि ये हमें एक बेहतर तरीक़े से ईश्वर को समझने में मदद करता है | मैं अब संतुष्ट महसूस करता हूँ क्योंकि मैं सभी रूपों में ईश्वर  का सम्मान करता हूँ |