रवीश कुमार का ब्लॉग: योगी आदित्यनाथ का इंटरनेटनाद !

http://www.yogiadityanath.in क्लिक करते ही गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ का इंटरनेटी संसार खुलता है। पहले पन्ने पर भक्ति की विनम्र मुद्रा की जगह आक्रामक मुद्रा में योगी आदित्यनाथ की तस्वीरें स्वागत करती हैं। आम तस्वीरों में हिन्दू धर्म के अलौकिक प्रतीकों को देखेंगे तो वे बहुत ही सहज और विनम्र नज़र आएंगे। आप किसी भी देवी-देवता की तस्वीर देखिये, ईश्वर की प्रस्तुति का कितना सौम्य इंसानीकरण किया गया होता है। लेकिन ऐसा क्या हो जाता है जब उसी ईश्वर के किसी रूप का इंसान दैवीकरण करता है तो उसे आक्रामकता की भयावहता में बदल देता है। सौम्यता शायद कमज़ोरी होती होगी। निश्चित रूप से कई लोगों को तस्वीरों की यह आक्रामकता आकर्षित करती है।  पहले पन्ने पर कुल पांच तस्वीरें हैं। दो में केसरिया कृत आदित्यनाथ मुस्कुरा रहे हैं।

अच्छा लगा। दो तस्वीरें ऐसी हैं जैसे भस्म कर देंगे। हाथ में आरती की लौ है, सर पर गमछा जैसा कुछ बांधे हुए हैं, चेहरे पर फिल्मी पसीना जैसा है, और आंखें रौद्र रूप में। एक तस्वीर में त्रिशुल लेकर चल रहे हैं तो पांचवीं में किसी बड़ी सभा को संबोधित कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ  पांच बार से लोकसभा का चुनाव जीतते आ रहे हैं। शायद यह किसी बीजेपी सांसद का पहला वेबसाइट होगा जो मोदी की तस्वीर के साथ नहीं खुलता है। भीतर के पन्ने में प्रधानमंत्री के साथ एक ही तस्वीर मिली। फोटो गैलरी में कई तस्वीरें हैं लेकिन यह वेबसाइट नमो छाया से मुक्त है।

योगी आदित्यनाथ राजनीतिक जीवन में हैं लेकिन उनकी पहचान नितांत धार्मिक है। शायद हमेशा भगवा वस्त्र धारण करने के कारण ऐसा हो लेकिन उनकी वेबसाइट की भाषा बताती है कि वे इस पहचान को भगवा वस्त्र से कहीं ज़्यादा धारण किये रहना चाहते हैं। यही धार्मिकता उन्हें आक्रामकता प्रदान करती है।करूणा कम क्रोध ज्यादा। विज्ञान के छात्र रहे हैं और 36 शैक्षणिक एवं चिकित्सकीय संस्थाओं के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, प्रबंन्धक या संयुक्त सचिव है। वेबसाइट पर उनका बायोडेटा बताता है कि व्यवहार कुशलता, दृढ़ता और कर्मठता से उपजी आपकी प्रबन्धन शैली शोध का विषय है। यह पता नहीं चल सका कि कोई प्रबंधन संस्थान इन पर शोध कर भी रहा है या नहीं।

गोरक्षापीठ का ऐतिहासिक धार्मिक महत्व तो है ही। गोरक्षापीठाधीश्वर होने के नाते उनकी अपनी एक सामाजिक हैसियत भी है जो सांसद होने से पहले से हासिल है। बायोडेटा बताता है कि योगी जी का जन्म देवाधिदेव भगवान महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखंड में 5 जून 1972 को हुआ। शिव अंश की उपस्थिति ने छात्ररूपी योगी जी को शिक्षा के साथ-साथ सनातन हिन्दू धर्म की विकृतियों एवं उस पर हो रहे प्रहार से व्यथित कर दिया।

गोरक्षापीठाधीश्वर होने के नाते पूर्वांचल का एक अच्छा खासा तबका उनमें श्रद्धा रखता है लेकिन परिचय में भी उनमें “शिव अंश की उपस्थिति ” बताकर उन्हें दैविक रूप प्रदान किया गया है  ताकि उनकी धार्मिक पहचान की दावेदारी मुकम्मल हो सके। वेबसाइट का दावा है कि उन्होंने हिन्दू पुनर्जागरण का इतिहास सृजित किया है। उपत्यका,सृजित,देवाधिदेव,अट्टालिका जैसे शब्दों से घबराने की ज़रूरत नहीं हैं। संस्कृतनिष्ठ या कठिन हिन्दी का इस्तमाल भाषाई विद्वता के साथ-साथ बल्कि धार्मिक प्रकांडता साबित करने के लिए भी किया जाता है ताकि श्रेष्ठ रूप पर कोई शक न कर सके।

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर कहा है कि धर्म और आतंकवाद का कोई रिश्ता नहीं हैं। उनके इस महान विचार को उनके ही समर्थकों के बीच जीवंत करने की ज़रूरत है। सांसद योगी आदित्यनाथ की साइट पर एक लेख मिला जिसका शीर्षक है- सावधान- यह इस्लामी आतंकवाद है!

हिन्दुत्व एक राजनैतिक विचारधारा है जिसकी राजनैतिक आलोचना होती है लेकिन किसी भाषाशास्त्री को इन आलोचनाओं से परे जाकर हिन्दुत्व की बात करने वाले नेताओं की भाषा-शैली का अध्ययन करना चाहिए। लेख की पहली पंक्ति पर स्कूल-कालेजों में होने वाले वाद-विवाद प्रतियोगिता के चैंपियन छात्रों की नज़र पड़ी तो वे इसे ले उड़ेंगे। क्योंकि स्कूलों में ऐसे ही अर्थहीन परन्तु अलंकृत वाक्यों पर तालियां बज जाती हैं। “वीरता जब भागती है तो उसके पैरों से छलछद्म की धूलि उड़ती है, वही धूलि आज इस देश का कायर राजनीतिक नेतृत्व उड़ाकर हिन्दू समाज व इस राष्ट्र के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है।“  आदित्यनाथ जैसे बोलते हैं उसी शैली में लिखते भी हैं।

“ क्या है यह आतंकवाद? क्या इस्लाम ही आतंकवाद का दूसरा रूप है। इस देश अथवा विश्व के कुछ कथित बुद्धिजीवी आतंकवाद क साथ इस्लाम जोड़े जाने का विरोध करते हैं। इस भाषण में आदित्यनाथ बताते हैं कि कैसे तमाम आतंकवादी संगठन इस्लाम के नाम पर दुनिया में ख़ून ख़राबा कर रहे हैं। वो इनके हमलों को हिन्दू के खिलाफ जोड़ते हैं। बताते हैं कि रोज़ निर्दोष हिन्दू मारा जा रहा है। काश सांसद जी ये भी बता ही देते हैं कि इन आतंकवादियों के कायराना कृत्य के शिकार मुसलमान भी हो रहे हैं। तो आतंकवाद को लेकर उनकी चिन्ता ज़रा व्यापक हो जाती। लेख काफी पुराना लगता है लेकिन इस लेख को आज प्रधानमंत्री पढेंगे तो कैसा लगेगा। वो तो कहते हैं कि आतंकवाद और धर्म का कोई रिश्ता नहीं हैं। कम से कम मोदी जी तो कथित बुद्धिजीवी नहीं हैं न।

“क्यों आज दुनिया के लभगग सभी आतंकवादी हमलों की जड़ें मदरसों तक जाती हैं। क्यों कश्मीर घाटी मुस्लिम बहुत होते ही भारत विरोधी हो गया और हिन्दुओं का वहां से सफाया हो गया। ” इन सब आक्रामक बातों से भावुकता तो लबालब हो जाती है मगर इनका सच्चाई से कोई नाता नहीं होता। हाल ही में मोदी सरकार के खुफिया विभाग की रिपोर्ट आई थी कि मदरसों में आतंकवाद की ट्रेनिंग नहीं दी जाती है। दक्षिपंथी राजनीति का घोषित अघोषित फार्मूला रहा है कि मदरसों में आतंकवाद फैलता है।

जमीयत उलेमा ए हिन्द ने भी कहा है कि साबित कर दीजिए कि मदरसों में आतंकवाद की ट्रेनिंग हो रही है तो हम भी आपकी मदद करेंगे। इस संगठन ने कुछ साल पहले दिल्ली में बड़ी सभा कर आतंकवाद की निंदा भी की थी। पता नहीं कि प्रधानमंत्री की राय के बाद भी आदित्यनाथ की राय बदलती है या नहीं कि धर्म का आतंकवाद से कोई रिश्ता नहीं है। मुखर आदित्यनाथ ने मोदी के इस अंतर्राष्ट्रीयवाद के नए सूत्र की कोई आलोचना नहीं की है।  रही बात कश्मीर की तो वहां के मुसलमानों को बीजेपी ने ही टिकट दिया है और इसका इस तरह प्रचारित किया गया है, अगर कोई दूसरा करता तो बीजेपी ही उस पर तुष्टिकरण का आरोप लगाती। यह भी सही है कि बीजेपी पर मुसलमानों को टिकट न देने का आरोप लगता है तो वह इन बातों का प्रचार तो करेगी ही।

आदित्यनाथ की साइट पर भी हाफिज़ जी का एक वीडियो है जिसमें वो बता रहे हैं कि वाजपेयी सरकार ने मुसलमानों के लिए क्या क्या किया। हाफिज विरोधियों पर आरोप लगा रहे हैं कि मुसलमानों को डराकर रखा गया है। वो अब बीजेपी की तरफ चल रहा है। वो डरने की चीज़ नहीं है। इस वीडियो में आदित्यनाथ के साथ मंच पर कुछ और मुसलमान बैठे हैं। बीजेपी की यह विचित्र विडंबना है। वो मुसलमानों के खिलाफ भी दिखती है और कोई मुसलमान उसके साथ दिख जाए तो तस्वीर भी छप जाती है। हकीकत दोनों ही बातों से काफी अलग है। मुसलमान बीजेपी को भी वोट करते हैं। ख़ैर।

आजकल सोशल मीडिया पर तमान नेता सक्रिय हैं। उनकी बेवसाइट हैं। इन बेवसाइट की एक समीक्षा तो होनी ही चाहिए। योगी आदित्यनाथ आरक्षण विरोधी हैं। मानते हैं कि भारत को स्वावलंबी बनाना है तो आरक्षण को जाना होगा। अब उनके जैसा निर्भिक नेता प्रधानमंत्री मोदी के एकछत्र नेतृत्व के सामने जाकर अपनी इन बातों को उठा पाएगा भी या नहीं इसकी संभावना को क्यों कम किया जाए।

उम्मीद की जानी चाहिए कि हिन्दू पुनर्जागरण के लिए निकला यह सन्यासी इन मुद्दों को लेकर संसद में ज़ोरदार भाषण तो दे ही सकता है। अब तो उन्हीं की सरकार है और रोकने के लिए कथित बुद्धिजीवी भी नहीं हैं। बीजेपी के नेता अपने से असहमत लोगों को कथित बुद्धिजीवी ही कहते हैं। शायद अहसास-ए-कमतरी की वजह से ऐसा रहा होगा कि दूसरे उन्हें बुद्धिजीवी नहीं मानते हैं। मैं तो बीजेपी के नेताओं और दक्षिणपंथियों को बुद्दिजीवी मानता हूं। उन्हें कभी कथित नहीं कहता। क्यों किसी को व्यथित करना है।

इस वेबसाइट पर हिन्दू युवा वाहिनी संगठन का ज़िक्र है  जिसके संविधान के अनुसार वैदिक, बौद्ध, जैन, सिख, नागा, तथा अन्य हिन्दू धर्म-संस्कृतियों को हिन्दुत्व के मतावलम्बियों में गिना गया है। बाकी धर्म का ज़िक्र नहीं है। आर एस एस प्रमुख मोहन भागवत तो कहते हैं जो भी हिन्दुस्तान में है वो हिन्दू है। हिन्दू युवा वाहिनी का सदस्य पुनर्जन्म में विश्वास रखता है। बीजेपी के सांसद होने और हिन्दुत्व की बात करने के बावजूद योगी आदित्यनाथ खुद को विश्व हिन्दू परिषद और आर एस एस की छाया से स्वतंत्र रखना चाहते होंगे।

तभी उनकी साइट पर इन संगठनों के प्रति कोई विशेष श्रद्धा नहीं है। बल्कि ज़िक्र तक नहीं है। आदित्यनाथ अपने आप में एक अलग लकीर हैं। वो दूसरों की लकीर पर नहीं चलते होंगे शायद। पर ऐसा भी नहीं है कि आदित्यनाथ संघ या बीजेपी विरोधी हैं। इतना ज़रूर है कि बीजेपी के भीतर रहकर वे नितांत रूप से स्वतंत्र व्यक्ति है। वर्ना उनकी साइट पर बीजेपी का झंडा तो होता ही। एक तस्वीर अध्यक्ष अमित शाह की भी होती। फोटो गैलरी में तो होगी लेकिन प्रमुखता से कहीं नहीं दिखी। कौन कहता है कि बीजेपी का हर सासंद मोदी मोदी ही करता है। मोदी महानायक हैं तो योगी भी हिन्दू पुनर्जागरण के महानायक हैं। ऐसा साइट के शुरूआत में ही लिखा हुआ मिलता है।

खैर इस वेबसाइट पर जो आदित्यनाथ हैं वहीं सार्वजनिक जीवन में हैं। कुछ बचाकर या छिपाकर अपनी छवि बनाने के लिए नहीं किया है। आदित्यनाथ की कुछ संस्थाओं के भी क्रियाकलाप हैं। इन दिनों मोदी सरकार पर आरोप लग रहे हैं कि वह मनरेगा को खत्म कर रही है या कमज़ोर कर रही है लेकिन योगी आदित्यनाथ की साइट पर मनरेगा का लिंक है। दो चार सरकारी कार्यक्रमों को ही इस साइट पर जगह मिली है जिसमें से मनरेगा है। क्या पता सांसद जी एक दिन मनरेगा के लिए संघर्ष भी करें।

स्वच्छ भारत के तहत गोरखपुर को आदर्श शहर बनाए जाने का एक ओपिनियन पोल भी चल रहा है जिसमें 95 प्रतिशत लोगों ने आदर्श शहर के पक्ष मे वोट किया है। हाल ही में गोरखपुर से गुज़र रहा था। स्टेशन से लेकर उसके किनारे की बस्तियों की गंदगी के बारे में बयान नहीं कर सकता। वाकई योगी आदित्यनाथ ने अपनी युवा वाहिनी को इन सब कामों में लगा दिया तो धर्म का काम अपने आप हो जाएगा! फोटो खिंचाने के लिए नहीं बल्कि सही में शहर को साफ करने में। कभी-कभी नेताओं की वेबसाइट को भी देखा कीजिए। कुछ जान ही जायेंगे।