रांची एसेम्बली हल्के से सीपीआई (एमएल) के उम्मीदवार इफ़्तिखार हसन उर्फ नदीम खान को रांची के मुस्लिम तबके की हिमायत हासिल है और उन्होने बताया की दर्ज़ फेहरिस्त ज़ात और दीगर पसमानदा तबके से भी एक प्लेटफॉर्म पर लाने की कोशिश की जा रही है।
मालूम हो की नदीम खान तकरीबन 10 सालो से मुस्लिम तबकों के दरमियान उनकी मसायलों को हमेशा उठाते रहे हैं। जुलूसों और तकरीब के जरिये डीसी के सामने छोटे-छोटे मसले को हल भी उन्होने किए। गुजिशता दिनों में बड़े मसले लव जिहाद और बड़े पैमाने पर मुस्लिमों की नक़ल मकानी और दहशतगर्द के नाम पर मुसलमानों को परेशान किया गया। इन मसलों को बड़े ही होशियारी से अंजुमन इसलामिया और दीगर अदारों से मिल कर हैडल किया।
उन्होने बताया की तकरीबन 4 हज़ार लोगों को सरकारी शरह पर गैस कनेक्शन दिलाया, बिजली कनेक्शन लेने के नाम पर बिचौलियों की तरफ से काफी पैसा ऐंठा जाता था उन्होने सरकारी शरह पर लोगों को बिजली कनेक्शन दिलाई और जिन लोगों के नाम पर लाखों पैसे बिजली के बकाए थे जिसकी वजह से बिजली कनेक्शन नहीं मिल पा रहा था उन लोगों को को भी बकाया रकम माफ करा कर बिजली कनेक्शन दिलाई।
माले के एमएलए विनोद सिंह से मिल कर एसेम्बली में सीथियो मामला को उठाया और इस्लाम नगर में मुसलमानों की नक़ल मकानी का मामला भी एसेम्बली में उठाया। मेडिकल प्रोटेक्शन बिल को मुस्तर्द कराया।
लव जिहाद मामला में रांची को अपनी होशियारी से अंजुमन इसलामिया और दीगर अदारों से मिलकर मामले को पुर अमन कराया। उन्होने बताया की वजीफा कैंप लगा कर उन्होने हजारों लोगों को मुफ्त फोरम भरवाया। वक़्त ब वक़्त मेडिकल कैंप और कानूनी मदद कैंप लगा कर गरीब मज़लूम लोगों की मदद की। उन्होने बताया की अब वक़्त आ गया है मुस्लिमों को एक प्लेटफोरम में लाने की सालों से बीजेपी और काँग्रेस आवाम से फरेब करती आ रही है। ज़ात के नाम पर वोट तक़सीम करती आ रही है अब ऐसा नहीं होगा मुस्लिम तबके के लोग भी अब ये बातें समझने लगी है।
नदीम खान एक वाहिद सख्श हैं जो रांची एसेम्बली हल्के में एक बड़ी पसंद के तौर पर उभरे हैं। और उन्हें ये उम्मीद है की इस बार ज़्यादा से ज़्यादा वोट देकर मुस्लिम और दर्ज़ फेहरिस्त ज़ात मिलकर उनको एसेम्बली में अपनी मसायल को उठाने के लिए भेजेंगे।