रांची का मास्टर प्लान मुस्तर्द करने का मुतालबा

रांची 22 मई : आदिवासी दानिश्वर फोरम ने रांची म्युन्सिपल कॉर्पोरशन के सीइओ को मेमोरेंदुम सौंप कर रांची मास्टर प्लान- 2037 खारिज करने की मांग की है। फोरम के जुल्लेन विकास सांगा ने कहा कि इस मास्टर प्लान में तरक्की के लिए जमीन तहवील एक्ट 1894 के दफात को बुन्याद बनाया गया है, जो गैर कानूनी है। क्योंकि, रियासत के 12 जिले, तीन ब्लाक और दो पंचायत दर्ज फेहरिस्त इलाके हैं. इसे सदर ए जम्हूरिया ने 11 अप्रैल 2007 को दोबारह एलान किया है।

रांची जिले को भी सेडुल जिले के मुताबिक में शामिल किया गया है। मेमोरेंडम में कहा गया है कि यहां सीएनटी एक्ट मौसर है और दर्ज फेहरिस्त ज़ात, दर्ज फेहरिस्त क़बायल और दीगर पसमांदा तबके की जमीन के मुन्ताक्ली पर कानूनी रोक है। हाइकोर्ट ने भी 25 जनवरी 2012 के एक फैसले में रियासत हुकूमत को सीएनटी एक्ट का अमल सख्ती से कराने का हुक्म दिया है।

छोटानागपुर डिविजन के कमिश्नर आज भी जमीन तहवील एक्ट 1894 के दफात के तहत दर्ज फेहरिस्त जात, दर्ज फेहरिस्त कबायली ज़ात और पसमांदा तबके की जमीन का तहवील गैरकानूनी तरीके से कर रहे हैं। मास्टर प्लान 2037 के लिए जमीन तहवील एक्ट 1894 का इस्तेमाल नहीं किया जाये।