रांची के हुस्नकारी के लिए कई मंसूबा बनीं, पर नाफ़िज़ नहीं

दारुल हुकूमत रांची के हुस्नकारी के लिए रांची मुंसिपल कॉर्पोरेशन की तरफ से आधा दर्जन से ज़्यादा मंसूबा बनीं, लेकिन हकीक़त की सतह पर नहीं उतर पायीं। इन मंसूबों के लागू होने से दारुल हुकूमत रांची का तस्वीर बदल जाएगी। यह भी मेट्रो सिटी की तरह साफ और खूबसूरत हो जायेगी। यहां भी खेल का मैदान, जदीद मार्केट, म्यूजियम, रियासती बस पड़ाव, फुटपाथ दुकानदारों के लिए एक मुंजिम जगह होगी। कॉर्पोरेशन की इन मंसूबों में से कुछ पर काम चल रहा है। पर इसकी रफ्तार बहुत धीमी है। कई ऐसी मंसूबा भी हैं, जो फाइलों में ही कैद होकर रह गयी हैं। इनमें से अहम मंसूबे हैं, जिनके पूरा होने पर रांची भी बड़े शहरों को मात दे देगी।

डेली मार्केट मेन रोड

डेली मार्केट मेन रोड में रांची मुंसिपल कॉर्पोरेशन की मंसूबा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स शरीक मॉडर्न वेजिटेबल मार्केट बनाने की है। यहां 309 दुकानों के इलावा वेजिटेबल मार्केट बनाया जाना है। साल 2005 में ही मुंसिपल कॉर्पोरेशन की तरफ से यहाँ मार्केट तामीर का काम फिकोन कंस्ट्रक्शन को सौंपा गया था। लेकिन इस मंसूबा को हुकूमत से मंजूरी नहीं मिली। तीन साल साल बाद फिर से यहां कॉर्पोरेशन ने मार्केट तामीर की अमल शुरू की। साल 2012 में आरएस अग्रवाल इंफ्राटेक को यहां शॉपिंग कॉम्प्लेक्स बनाने का काम सौंपा गया। तकरीबन 12 करोड़ की लागत से बनने वाले इस मार्केटिंग कॉम्प्लेक्स के लिए अब तक जमीन भी खाली नहीं करवायी जा सकी है।

नागा बाबा खटाल

जिला इंतेजामिया और मुंसिपल कॉर्पोरेशन की तरफ से साल 2011 में इस मुकाम पर दिल्ली के पालिका बाजार की तर्ज पर मार्केट तामीर का फैसला लिया गया। इसे हुकूमत ने मंजूरी नहीं दी। अब इस मुकाम पर 2.50 करोड़ की लागत से अर्बन हाट की तामीर करने की मंसूबा है। फिलहाल इस मुकाम पर कूड़े का ढेर लगा हुआ है।

टाउन हॉल कचहरी

टाउन हॉल कचहरी को तोड़कर एक जदीद टाउन हॉल की तामीर मुंसिपल कॉर्पोरेशन को करना है। साल 2010 में ही यहां एक जदीद टाउन हॉल शरीक कन्वेंशनल सेंटर तामीर करने की मंसूबा है। 18 करोड़ की लागत से बनने वाले इस टाउन हाल में दो फूड कोर्ट, अंडरग्राउंड पार्किग, पार्क व 400 लोगों की ताकत वाला ऑडिटोरियम की तामीर किया जाना है।

खादगढ़ा बस स्टैंड

खादगढ़ा बस स्टैंड को रियासती बस पड़ाव बनाने की पहल पहला वजीरे आला बाबूलाल मरांडी ने की थी। लेकिन कोई काम हुआ नहीं। मई 2013 में गवर्नर डॉ सैयद अहमद ने संगे बुनियाद किया। लागत नौ करोड़ रुपये है। हुस्नकारी का जिम्मा आरएस अग्रवाल एजेंसी को है। काम की रफ्तार से लगता है कि डेढ़ साल के बजाय यह काम तीन से चार साल में पूरा होगा।

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