रांची दहशतगर्द का नया गढ़ !

जून को एनआईए की टीम जब रांची के सीठियो गांव में एक तालाब और कुएं को खंगाल रही थी, तो कुछ सवाल सामने आए : क्या पटना और बोधगया धमाकों से जुड़े मुश्तबा के तार रांची में जड़ जमाए हैं? क्या आगे और भी सुराग मिलने या किसी बड़े वही के दावे किए जा सकते हैं?

गुजिशता साल 27 अक्तूबर को पटना में नरेंद्र मोदी की रैली से ठीक पहले हुए बम धमाके को लेकर सबसे ज़्यादा सुर्खियों में झारखंड की दारुल हुकूमत रांची ही है।
मुश्तबा की सरगरमियों के बारे में एनआईए, रियासत की पुलिस की मदद से मुसलसल झारखंड में तफ़्तीश कर रही है। और इस तफ़्तीश के सेंटर में है रांची शहर और नज़दीक का एक गांव सीठियो। एनआईए की टीम जांच के सिलसिले में फिर रांची पहुंची है। इतवार को एनआईए और पुलिस के अफसर सीठियो गांव भी गए थे।
रांची के एसपी प्रभात कुमार ने इसकी तसदीक़ भी की है। उन्होंने बताया है कि एनआईए अपनी तफ़्तीश को आगे बढ़ा रही है।

जुड़ते तार!

पटना और बोधगया धमाकों से जुड़े मामले में अब तक रांची से आठ मुश्तबा लोगों को गिरफ़्तार किया गया है। इनमें चार लोग सीठियो के रहने वाले हैं। रांची से ही मुसलसल बमों, धमाकों और दीगर काबिले एतराज़ सामान बरामद होने का सिलसिला भी जारी है। पुलिस का कहना है कि अब भी कई लोग शक के घेरे में हैं। उनसे पूछताछ होती रही है। इनमें एक डॉक्टर भी शामिल हैं, जिन्हें 22 मई को एनआईए ने हिरासत में लेकर लंबी पूछताछ की थी।

रांची में ही एनआईए और पुलिस मुसलसल यह पड़ताल करती रही है कि कहां बम बनाने के तरबियत दिए जाते थे और कहां टेस्ट किए जाते थे। इसी महीने सात जून को एनआईए ने रांची पुलिस की मदद से सीठियो गांव से छह टाइमर बम बरामद किए थे। तब पुलिस ने दावा किया कि ये तमाम बम पटना धमाके में इस्तेमाल किए बमों से मिलते-जुलते हैं।

फिर आठ जून को एनआईए ने रांची से ही दो और मुबाइना मुश्तबा को भी गिरफ़्तार किया। इनमें इफ्तेखार अंसारी सीठियो गांव और परवेज़ असलम रांची के कर्बला चौक इलाक़े से पकड़े गए थे। तब एनआईए ने बताया था कि परवेज़ के ताल्लुक मध्य प्रदेश में सरगर्म रहे सिमी के एक हार्डकोर मेम्बर से भी रहे हैं, जिन्हें हाल ही में पकड़ा गया है।

‘शक के घेरे में गांव’

सीठियो से बम बरामद होने और एक और मुश्तबा की गिरफ़्तारी के बाद यह गांव फिर से चर्चा में आ गया है। बड़ी तादाद में पुलिस फोर्स की मौजूदगी में गांव के तालाब और एक कुएं को खंगाला जा रहा था, तो सबकी निगाहें उधर ही लगी थीं। उसी वक़्त उधर से गुज़रते एक नौजवान से जब बातें की थीं, तो उन्होंने पहले अपना नाम नहीं छापने की दरख्वास्त किया। वे कहने लगे कि इतने बड़े गांव को चंद लोगों ने शक के घेरे में ला खड़ा किया है।

उनका दावा है कि अहले-हदीस को मानने वाले कुछ हिमायत इस तरह की सरगरमियों में शामिल हो सकते हैं, वरना अब भी गांव में अमन चैन चाहने वाले ज़्यादा हैं। वे पूछते भी हैं सीठियो पुलिस की जांच के घेरे से कब तक बाहर निकल सकेगा।

बाशुक्रिया बीबीसी हिन्दी डॉट कॉम