रांची में एक और किसान ने की आत्महत्या

बंधा गोभी और टमाटर की फसल से किसी तरह लागत की भरपाई ही हो पायी थी. अभी धान लगाने का समय था, पर पैसे के अभाव में खेत खाली पड़ा था. परिजनों के अनुसार, इस वर्ष खेती में काफी नुकसान हुआ था.  पैसे नहीं हाेने के कारण धान लगाने को लेकर  वह कुछ दिनों से मानसिक तनाव में था. मंगलवार देर शाम रोपाई के लिए खुद से खेत तैयार कर वह घर लौटा था. बुधवार सुबह परिजनों ने उसे नहीं देखा, तो खोजबीन शुरू हुई.
काफी तलाश के बाद पुराने रसोई घर में उसका शव फंदे से लटका मिला. सूचना मिलने के बाद पुलिस पहुंची और शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेजा. घटना की सूचना मिलने के बाद चान्हो के  बीडीओ प्रवीण कुमार व सीओ प्रवीण कुमार सिंह बेतलंगी गांव पहुंचे.  पारिवारिक  लाभ योजना के तहत संजय के पिता चांदुल मुंडा को तीन हजार रुपये की सहायता राशि  उपलब्ध करायी.
बीमार हैं पिता : संजय मुंडा के पिता चांदुल मुंडा आंशिक रूप से बीमार हैं. उन्होंने बताया, पैर की बीमारी के कारण ठीक से चल नहीं पाता. पत्नी फूलकुमारी की  हृदय रोग से पहले ही मृत्यु हो चुकी है. पत्नी के इलाज में घर की सारी जमा पूंजी  खर्च हो गयी. परिवार पूरी तरह खेती-बारी पर ही निर्भर है. उन्होंने बताया, बड़ा बेटा राजू मुंडा केरल में काम करता है, इस कारण संजय ही खेती-बारी का काम देखता था.  धान रोपनी का समय है, पर खेत खाली पड़े हैं. हाथ में पैसे भी नहीं है. आसपास के सारे खेतों में धान लग गये हैं. खेत तक मवेशी को ले जाने की भी सुविधा नहीं है. इस कारण संजय काफी तनाव में था.
हाल में तीन किसान ने की है आत्महत्या 
10 जून : पिठोरिया के सिमलबेड़ा गांव निवासी कलेश्वर महतो ने फांसी लगा कर जान दी थी. पत्नी के नाम से किसान क्रेडिट कार्ड पर 40 हजार का लोन लिया था, जो 61 हजार हो गया था.
15 जून : पिठोरिया के सुतियांबे गांव निवासी किसान बालदेव महतो ने कुएं में कूद कर जान दी थी. उसने केसीसी पर 25 हजार का लोन लिया था.
02 जुलाई : ओरमांझी के विजांग गांव के किसान राजदीप नायक ने आर्थिक तंगी के कारण कीटनाशक खाकर जान दी