दारुल हुकूमत में मोनो रेल चलाने की तैयारी की जा रही है। शहर में मोनो रेल चलाने के प्रोपोजल पर वज़ीर सुरेश पासवान राज़ी हो गये हैं। मोनो रेल के चलाने के लिए आइडीएफसी को मशावर्ती चुना गया है।
इस सिलसिले में शहर तरक़्क़ी महकमा ने हुकूमत की मंजूरी के लिए मंसूबा महकमा में परपोजल भेजा है। हालांकि, रांची में ज़ाब्ता एखलाक़ नाफ़िज़ होने की वजह से परपोजल पर हुकूमत की मंजूरी नहीं मिली है।
फी किमी खर्च होंगे 180 करोड़
रांची की सड़कों पर मोनो रेल चलाने के लिए बहुत बड़ी रकम खर्च होगी। शहर तरक़्क़ी महकमा के परपोजल में बताया गया है कि मोनो रेल की तामीर पर फी किलोमीटर 180 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। पहले फेज में दस किमी रेल लाइन बनाने की मंसूबा तैयार की गयी है। बाद में इसकी तौसिह किया जायेगा। दूसरे फेज में फिर से 10 किमी लाइन पर काम की अमल शुरू की जायेगी। रांची में रातू रोड, मेन रोड, लालपुर, कांटाटोली, बिरसा चौक जैसे मसरूफ़ इलाके में मोनो रेल चलाने की मंसूबा है।
खंभे खड़े कर बिछायी जायेगी पटरी
शहर तरक़्क़ी महकमा की तरफ से शहर में मोनो रेल चलाने की पूरी सोंच कर मंसूबा बनायी गयी है। मसरूफ़ सड़कों को चौड़ा करने की जगह डिवाइडरों के बीच पिलर खड़े किये जायेंगे। खंभों के ऊपर पटरी बिछायी जायेगी। मोनो रेल के स्टेशन भी सड़क के ऊपर ही बनाये जाने की मंसूबा है। फिलहाल, भारत के सिर्फ एक ही शहर मुंबई में मोनो रेल चल रही है। मुस्तकबिल में इसे दिल्ली, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और केरल के भी कई शहरों में चलाये जाने की मंसूबा पर काम हो रहा है।
मोनो रेल चलाने के लिए रांची की आबादी काफी है। शहर की सड़कों की बनावट में ज्यादा बदलाव किये बिना रेल चलायी जा सकती है। महकमा वज़ीर ने मुतल्लिक़ तजवीज को मंजूरी दी है। मंसूबा महकमा की मंजूरी मिलने के बाद काम आगे बढ़ाया जायेगा। मोनो रेल प्रोजेक्ट शुरू होते ही झारखंड भारत के उन चंद रियासतों में शामिल हो जायेगा, जहां मोनो रेल चलाने की कोशिश किये जा रहे हैं।
अजय कुमार सिंह, सेक्रेटरी, शहर तरक़्क़ी महकमा