राजकुमार राव के लिए ‘जिहाद’ क्यों है पवित्र?

अपने अभिनय से मुंबइया फ़िल्म इंडस्ट्री में पहचान बनाने वाले राजकुमार का कहना है कि जिहाद की परिभाषा “क़ुरान-ए-पाक” में बहुत पवित्र है, लेकिन लोगों ने सुविधा के हिसाब से उसे तोड़-मरोड़ दिया है.

बीबीसी हिंदी से बातचीत में राजकुमार राव ने कहा, “क़ुरान-ए-पाक में जिहाद पवित्र है जो हिंसा की बात नहीं करता है. हालांकि अब सुविधा के हिसाब से एक नई परिभाषा दे दी है ताकि लोगों का ब्रेनवॉश किया जा सके.

राजकुमार राव अपनी आगामी फ़िल्म “ओमेर्टा” में कुख़्यात आतंकवादी अहमद ओमर सईद शेख का किरदार निभा रहे है. फ़िल्म के किरदार में ढलने के लिए उन्होंने कई डॉक्युमेंट्रीज़ देखीं और नफ़रत से भरे भाषण सुने.

तब राजकुमार ने महसूस किया कि किस तरह से युवाओं के सीधे-सादे दिमाग़ में नफ़रत भरी जाती है. राजकुमार राव का मानना है कि कुछ लोग इसका फ़ायदा उठाकर ग़लत काम करवाते हैं.

राजकुमार ने कहा, “जो सीरिया में हो रहा है वो बहुत ही परेशान करने वाली घटना है. उस समय 1993-1994 में बोस्निया में ऐसा ही हो रहा था, जो बहुत ही दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण था. दुनिया की ये कड़वी सच्चाई है जो हमारे आस-पास हो रहा है.

फ़िल्म किसी संप्रदाय पर नहीं?

राजकुमार का कहना है कि फ़िल्म “ओमेर्टा” दुनिया में हो रही ग़लत चीज़ों का आईना है. इसमें बताया गया है कि एक बुद्धिमान लड़का दुनिया में अच्छे बदलाव ला सकता था, लेकिन उसने ऐसा ख़तरनाक रास्ता चुना कि एक ख़ौफ़नाक आतंकवादी बन गया.

हालांकि राजकुमार राव ने साफ़ किया कि ये फ़िल्म किसी संप्रदाय पर नहीं है.

वो कहते हैं, “हमने कभी नहीं सोचा कि हम एक मुस्लिम लड़के को आतंकवादी बनने की कहानी बता रहे हैं. हम उसके धर्म पर ज़ोर नहीं दे रहे हैं बल्कि उसकी मनोस्थिति, परिस्थिति और उसकी प्रतिक्रिया के बारे में बता रहे हैं. ये फ़िल्म कभी किसी कम्युनिटी के बारे में नहीं थी.”

शाहिद, न्यूटन, बरेली की बर्फ़ी जैसी फ़िल्मों से सफलता प्राप्त करने वाले राजकुमार राव को अक्सर स्वतंत्र फ़िल्मों से जोड़ा जाता था. हालांकि राजकुमार का कहना है कि अब उनके साथ किसी तरह का टैग नहीं है.

इस साल राजकुमार राव कंगना रनौत के साथ फ़िल्म “मेन्टल है क्या” के साथ-साथ मल्टी स्टारर फ़िल्म ‘फन्ने ख़ान’ में अनिल कपूर और ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ भी नज़र आएंगे.

हंसल मेहता द्वारा निर्देशित फ़िल्म “ओमेर्टा” 20 अप्रैल को रिलीज़ होगी. हालांकि टोरंटो इंटरनैशनल फ़िल्म फ़ेस्टिवल में फ़िल्म का वर्ल्ड प्रीमियर हुआ था. जहां फ़िल्म को मिली-जुली प्रतिक्रिया मिली.

ये ख़ामोशी और सम्मान का कोड है.

‘ओमेर्टा’ इटैलियन शब्द है. इसका इस्तेमाल अपराधिक गतिविधियों में शामिल लोगों के लिए किया जाता है.

ये एक-दूसरे के लिए वफ़ादार रहने का कोड है. इसके तहत वादा लिया जाता है कि वे एक-दूसरे के गुनाह के बारे में पुलिस को कुछ नहीं बताएंगे.