राजनीतिक बयान देना सेना अध्यक्ष का काम नहीं, संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है- ओवैसी

सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत ने कहा कि पूर्वोत्तर को अशांत रखने के लक्ष्य के साथ पाकिस्तान द्वारा चीन के सहयोग से चलाई जा रहे परोक्ष युद्ध के तहत वहां ‘योजनाबद्ध’ तरीके से बांग्लादेश से लोगों को भेजा रहा है।

असम के कई जिलों में मुस्लिम जनसंख्या में वृद्धि की खबरों का हवाला देते हुए सेना प्रमुख ने बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ की भी चर्चा की और कहा कि राज्य में उसका उभार 1980 के दशक से भाजपा के विकास से अधिक तेज रहा।

रावत के इस बयान पर AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने आपत्ति जताई है। औवेसी ने ट्वीट कर कहा कि सेना प्रमुख को राजनीतिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, किसी राजनीतिक पार्टी के उदय पर बयान देना उनका काम नहीं है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है। सेना हमेशा एक निर्वाचित नेतृत्व के तहत काम करती है।

बता दें कि बुधवार को जनरल रावत ने पूर्वोत्तर में बांग्लादेशों के प्रवासन का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘हमारे पश्चिमी पड़ोसी के चलते योजनाबद्ध तरीके से प्रवासन चल रहा है।

वे हमेशा कोशिश और यह सुनिश्चित करेंगे कि परोक्ष युद्ध के जरिए इस क्षेत्र पर नियंत्रण कर लिया जाए।’’ वह पूर्वोत्तर क्षेत्र में सीमाओं को सुरक्षित बनाने के विषय पर एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं समझता हूं कि हमारा पश्चिमी पड़ोसी इस क्षेत्र को समस्याग्रस्त बनाए रखने के लिए हमारे उत्तरी पड़ोसी (चीन) की मदद से बहुत अच्छी तरह परोक्ष युद्ध खेलता है। हमें कुछ और प्रवासन नजर आएंगे। हल समस्या की पहचान और समग्र दृष्टि से उसपर गौर करने में निहित है।’’