राजय‌ के 54 फीसद मुस‌लमान वाई एस आर कांग्रेस के हामी

* तमाम पार्टीयों को आज़माने के बाद ख़ुद अपनी हालत बदलने कि कोशिश में,

हैदराबाद [संवाददाता: मुहम्मद नईम वजाहत] आंधरा प्रदेश में 54 फ़ीसद मुस्लिम वाईएसआर कांग्रेस की ताईद कर रहे हैं । रियासत में सिर्फ सियासी वाबसतगीयां ही तबदील नहीं होरही हैं और ना ये सिलसिला सियासी वफ़ादारीयां बदलने तक महदूद हैं बल्कि वोटर‌ ख़ुद सीयासी हालत बदलना चाहते हैं ।

सियासी पार्टीयों और लिडरों को अब अपने गिरीबां में झांकने की ज़रूरत है । एक अंग्रेज़ी टेलीविज़न चैनल ने राजय के हालात ,उपचुनाव ,वोटरों की पसंद समाज के मुख़्तलिफ़ तबक़ात और मज़ाहिब की नब्ज़ जांचने सर्वे किया है जिस में चौंका देने वाले इन्किशाफ़ हुए हैं ।

अक़ल्लीयतें(अल्पसंख्यक)खास कर‌ मुस‌लमान कांग्रेस के वोट बैंक रहे हैं मगर अब वो कांग्रेस से दूर होरहे हैं । 54 फ़ीसद मुस‌लमान वाई एस आर कांग्रेस की ताईद में उतर आए हैं । 21 फ़ीसद कांग्रेस की और 7 फ़ीसद मुस‌लमान तेल्गुदेशम की ताईद कर रहे हैं । दूसरी अक़ल्लीयतों में भी जयादा लोगों का झुकाव वाई एस आर कांग्रेस की तरफ़ है । सियासत पर असर रखने वाले रेड्डी तबके के 61 फ़ीसद वोटरों का रुजहान वाई एस आर कांग्रेस की तरफ़ है । 47 फ़ीसद तबक़ा तेल्गुदेशम की ताईद में हैं जबकि 46 फ़ीसद कापू तबक़ा कांग्रेस की ताईद में है जबकि दोनों तबक़ात की 18 से 22 फ़ीसद ताईद वाई एस आर कांग्रेस के साथ है ।

राजय‌ के 294 असेंबली हलक़ों में 90 से जयादा एसे हलक़े हैं जहां मुस‌लमानों का फ़ैसलाकुन मौक़िफ़ है और 60 से जयादा एसे हैं जहां किसी उम्मीदवार की कामयाबी में अक़ल्लीयतें बहुत अहम रोल अदा करती हैं । राजय‌ में पिछ्ले 18 साल का जायज़ा लिया जाय तो तेल्गुदेशम और कांग्रेस के दौर को लोगों ने देखा है । चिरंजीवी ने समाजी इंसाफ़ और तबदीली के नारे के साथ 2009 से पहले प्रजा राज्यम सयासी पार्टी बनाई थी मगर लोगों का एतिमाद हासिल करने से महरूम रही ,सिर्फ़ ढाई साल में चिरंजीवी ने अपनी पार्टी को कांग्रेस में मिला दिया ।

डाक्टर राज शेखर रेड्डी की हावाई हादिसे में मौत के बाद उन के बेटे ने कांग्रेस में रह कर पुर्सा यात्रा निकालने की कोशिश की थी लेकिन‌ सोनीया गांधी से इजाज़त ना मिलने के बाद कांग्रेस से अलग‌ होकर वाई एस आर कांग्रेस पार्टी बनाई । उन्हों ने कड़पा उपचुनाव‌ में 5 लाख वोटों से कामयाबी हासिल करके कांग्रेस और तेल्गुदेशम के लिए मुश्किलें पैदा करदी ।

उपचुनाव‌ में कामयाबी की तरफ़ गामज़न होते हुए लोगों को तबदीली का पैग़ाम दिया । उप‌चुनाव‌ के नतीजों में मायूसी से ज़्यादा सत्तादार‌ कांग्रेस तेल्गुदेशम को आम चुनाव‌ 2014 की फ़िक्र है । दोनों पार्टीयों के असेंबली सदस्य‌ ख़ुद को ग़ैर महफ़ूज़ समझ रहे हैं । उन्हें पार्टीयों में रहने पर दुबारा कामयाबी की ज़मानत ना होने का इन में तास्सुर पाया जाता है साथ ही दोनों पार्टीयों के दूसरे दर्जा के लिडर‌ भी सीयासी मुस्तक़बिल की मंसूबा बंदी में लगे हैं ।

हर कोई दुसरे रास्ते के तौर पर‌ वाई एस आर कांग्रेस को तर्जीह दे रहे हैं या असेंबली सदस्यों की वफ़ादारियां बदलने पर पार्टी में उभरने के मवाक़े का भी इंतिज़ार कर रहे हैं । यही नहीं नेशनल और स्थानीय पार्टीयों की नज़र भी वाई एस आर कांग्रेस पर टीकी हुई है ।यू पी चीफ़ मिनिस्टर अखिलेश यादव वाई एस आर कांग्रेस से संपर्क‌ में हैं तो यू पी ए और एन डी ए की मददगार पार्टीयां भि वाई एस आर कांग्रेस से बातचित‌ कर रही हैं क्योंकि मुल़्क की क़ौमी सतह पर नेशनल पार्टीयों के हुक्मरानी का दौर ख़त्म‌ होगया है और अलाक़ाई पार्टीयां केन्द्रीय हुकुमत बनानए में अहम रोल अदा कर रही हैं।