जयपुर : राजस्थान में जयपुर स्थित हिंगोनिया गोशाला में गायों की माैत के मामले में गुरुवार को हाइकोर्ट ने गहरी चिंता जतायी है. जस्टिस महेश चंद्र शर्मा की अदालत ने कहा कि आखिर हो सप्ताह में कैसे 500 गायों की मौत हो गयी. जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ क्या कार्रवाई हो रही है. कोर्ट की नाराजगी के बाद सरकार ने सफाई दी है।
सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि राज्य सरकार की ओर से हिंगोनिया गो पुनर्वास केंद्र में गोवंश के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए सभी व्यवस्थाएं सुचारू रूप से संचालित की जा रही हैं. बयान के मुताबिक गोशाला में जिन गायों की मौत हुई हैं, वे पहले से ही बीमार एवं कुपोषित थीं और इन्हें कुछ समय पहले ही गोशाला में लाया गया था.
पशु पालन विभाग के शासन सचिव कुंजीलाल मीणा ने बताया कि गोवंश के स्वास्थ्य पर निगरानी के लिए गोशाला परिसर में 15 सीसीटीवी कैमरे लगाये गये हैं. साथ ही, लगभग 200 कर्मचारियों को पशुओं को चारा डालने, देखरेख करने और बीमार पशुओं के इलाज में मदद के लिए नियुक्त किया गया है. बीमार गोवंश को अस्पताल में शिफ्ट करने के लिए लिफ्ट-युक्त वाहन उपलब्ध हैं. मीणा ने बताया कि इस केंद्र में शेड निर्माण और पशु गृह विकास के लिए वर्ष 2014-15 में 7 करोड़ 59 लाख एवं वर्ष 2015-16 में 2 करोड़ 16 लाख रुपये खर्च किये गये हैं.
कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों की इच्छाशक्ति के बगैर हालात नहीं सुधर सकते हैं. अधिकारियों की इच्छाशक्ति के बगैर गायों की मौत नहीं रूक सकती. उल्लेखनीय है कि हिंगोनिया गोशाल एक बार फिर गायों के लिए मरघट बन गयी है. यहां पिछले दो दिनों में ही 90 गायों की मौत हो चुकी है. और पिछले दो सप्ताह में यह संख्या 500 तक पहुंच चुकी है. गौशाला में घुटनों तक जमा कीचड़ गायों के लिए जानलेवा दलदल बना हुआ है और कई दिनों से गायें यहां बैठ भी नहीं पा रही हैं और जो बैठ गयी हैं वो दलदल में बुरी तरह फंस गयी. कइयों की इसमें जान चली गयी है और कुछ को गुरुवार दोपहर तक रस्सियों से बांध कर बाहर निकालने का काम शुरू किया गया है.
गौशाला के ये हालात तब हैं जब सरकार 15 करोड़ रुपये सलाना गौशाला के लिए देती है. इनमें से दस करोड़ रुपये चारे-पानी पर खर्च हो जाते हैं. गौशाला में 17 पशु चिकित्सक और 40 से अधिक नर्सिंग कर्मचारी तैनात हैं लेकिन फिर भी यहां हर महीने करीब 1000 गायें मर रही है.