तीन महीने पहले राजस्थान से राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए मदन लाल सैनी राज्य के नए प्रदेश अध्यक्ष होंगे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और पार्टी के संगठन मंत्री रामलाल ने अंतत: सर्वसम्मति से मदन लाल सैनी को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनवाने में सफलता पा ली है। जयपुर के सूत्रों का कहना है कि वसुंधरा भी यही चाहती थी। इस तरह से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ राज्य के पार्टी अध्यक्ष के लिए 70 दिनों से अधिक समय तक चले ऊहापोह का सुखद अंत हो गया। सूत्रों के मुताबिक राजस्थान में भाजपा में इस फैसले के बाद बगावत भी हो सकती है।
कौन हैं मदन लाल सैनी
अप्रैल 2018 को कांग्रेस के अभिषेक मनु सिंघवी का राज्यसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद पहली बार मदन लाल सैनी राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुने गए। सैनी शेखावटी क्षेत्र के खांटी नेता हैं। उन्हें राजस्थान के शेखावटी अंचल में भाजपा को खड़ा करने वाले नेताओं के रूप में जाना जाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में अच्छी खासी पैठ रखते हैं। लो-प्रोफाइल रहकर जनसंघ के जमाने के पुराने नेताओं में अपनी दमदार छवि रखते हैं। सैनी को संगठन के नेता के रुप में जाना जाता है। राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी सैनी का समीकरण काफी अच्छा है।
राजनीतिक कॉरियर के लिहाज से सैनी झुंनझुनू(उदयपुरवाटी) से 1990-92 तक विधायक रहे हैं। इसके बाद वह झुनझुनूं से ही लोकसभा का चुनाव लड़े थे, लेकिन चुनाव हार गए थे। लेकिन संगठन के कामकाज में वह लगातार सक्रिय रहे हैं। सैनी पार्टी के प्रदेश किसान मोर्चा के अध्यक्ष हैं। पार्टी की प्रदेश अनुशासन समिति की जिम्मेदारी भी सैनी के ही पास है। उन्होंने भारतीय मजदूर संघ से पार्टी के भीतर अपनी राजनीतिक पारी को धार दिया था भाजपा के और प्रदेश महामंत्री भी रह चुके हैं।
16 अप्रैल 2018 को राजस्थान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी ने पद से इस्तीफा दे दिया था। परनामी का यह इस्तीफा भाजपा हाई कमान के दबाव में हुआ था। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को परनामी के अध्यक्ष बने रहने में कोई आपत्ति नहीं थी, लेकिन वह हाई कमान को मंजूर नहीं थे। इसके बाद से पार्टी के नये अध्यक्ष के लिए कसरत शुरू हो गई थी। 26 अप्रैल 2018 को इस संदर्भ में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से भी मिली थी, लेकिन मनमाफिक नाम पर सहमति नहीं बन पाई थी।
उस समय कर्नाटक विधानसभा चुनाव भी चल रहे थे। इसलिए केन्द्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री ने इस मुद्दे को टकराव को टालना उचिकत समझा। इसी दौरान वसुंधरा ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और संगठन मंत्री रामलाल से फिर मुलाकात की। बताते हैं काफी मशक्कत के बाद मदन लाल सैनी के नाम पर आखिरकार मुहर लग सकी।
खत्म हुआ सस्पेंस
राजस्थान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद के लिए कई नाम चर्चा में आए। भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व गजेन्द्र सिंह शेखावत को इस पद पर देखना चाहता था, लेकिन बताते हैं वसुंधरा राजे के वीटो लगाने के बाद इस पर सहमति नहीं बन पाई। इस कड़ी में केन्द्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, सुरेन्द्र सिंह पारीक, श्रीचंद कृपलानी का भी नाम उछला।
भूपेन्द्र को भी इस दौड़ में जोड़ा गया। लेकिन बताते हैं कि वसुंधरा राजे भी इस पर अपनी सहमति नहीं दे रही थी। इसके लिए राजस्थान के संघ के नेताओं ने भी काफी मशक्कत की। एक तरह से देखा जाए तो 2014 के बाद से पहला ऐसा पद रहा जिसे भर पाने में केन्द्रीय नेतृत्व को काफी मशक्कत करनी पड़ी। फिलहाल अब सस्पेंस खत्म हो गया है। माली समाज से आने वाले मदन लाल सैनी के नाम पर मुहर लगाकर भाजपा ने एकजुटता के राजस्थान विधानसभा चुनाव तैयारियों को धार दे दी है।