राजा परवेज़ अशर्फ़ नए पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री

* अप्पोज़ीशन उम्मीदवारसे काफी आगे , क‌रप्शन के आरोपों का सामना
ईस्लामाबाद । पाकिस्तान कि सत्तादार‌ पीपल्ज़ पार्टी के बहुत मंझे हुए लिडर‌ राजा परवेज़ अशर्फ़ पाकिस्तान के नए प्रधानमंत्री तय‌ कर लिए गए क्योंकि साबिक़ उम्मीदवार मख़दूम शहाब उद्दीन को कल गिरफ़्तारी वारंट का सामना करना पड़ा। ख़ुद राजा परवेज़ मुशर्रफ़ भी मर्कज़ी वज़ीर-ए-तवानाई के ओहदे पर होने के दौर के लिए करप्शन के इल्ज़ामों का सामना कर रहे हैं।

342 सदसिय‌ क़ौमी असेंबली में अशर्फ़ को 211 और अप्पोज़ीशन नवाज़ मुस्लिम लीग के उम्मीदवार सरदार महताब अहमद ख़ान अब्बास को 89 वोट हासिल हुए। प्रधानमंत्री पद‌ के लिए तय‌ होने के बाद अशर्फ़ ने अपने पेशरव‌ यूसुफ़ रज़ा गिलानी को जमहूरीयत और मुक़न्निना की सरबुलन्दी के लिए जद्द-ओ-जहद करने पर शुक्रीया अदा किया।

उन्हों ने यकिन‌ दिया कि वो हिंदूस्तान के साथ अपने ताल्लुक़ात बेहतर बनाएंगे और ख़ारिजा(विदेश) पोलिसी की तर्जीहात में बेहतर हिंद । पाक ताल्लुक़ात को पहला मुक़ाम देंगे। कश्मीर के मस्ले जैसे देरीना मस्लें हल करने के लिए बातचित‌ के तरीके को मज्बुत करेंगे।

राष्ट्रपती आसिफ़ अली ज़रदारी उन्हें 25 वें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की हैसियत से हलफ़(शपथ) दिलवाएंगे। उन्हों ने कहा कि वो जब तक प्रधानमंत्री पद‌ पर रहेंगे, अपनी तमाम तर सलाहीयतें लोगों के लिए वक़्फ़ कर देंगे जो बेहतर और साफ़ सुथरी हुक्मरानी चाहते हैं।

उन्हों ने कहा कि अब ज़िम्मेदारी उन के कंधों पर आ गई है और वो लोगों को मायूस नहीं करेंगे। अप्पोज़ीशन नवाज़ मुस्लिम लीग के सदर नवाज़ शरीफ़ ने अशर्फ़ के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री कि हैसीयत से तय होने को मुल्क‌ के लिए एक सानिहा क़रार दिया और इस के जवाज़ को चैलेंज किया।

उन्हों ने कहा कि हुकूमत को बदनाम सियासतदां को प्रधानमंत्री उम्मीदवार तय‌ नहीं करना चाहीए था, जिसे करप्शन के आरोपों का सामना है। इमकान हैकि नए प्रधानमंत्री को सुप्रीम कोर्ट के मुक़द्दमों का सामना करना पड़ेगा।

अशर्फ़ को 2 हरीफ़ों से मुक़ाबला करना पड़ा जबकि 3 उम्मीदवार मुक़ाबले से हट गए थे, जिन में पीपल्ज़ पार्टी के लिडर‌ शहाब उद्दीन और क़मर उज्ज़माँ काइरा के इलावा जमियत-ए-उलमा-ए-पाकिस्तान के सदर मौलाना फ़ज़ल उर्रेहमान‌ शामिल थे। शहाब उद्दीन को दसतबरदारी पर मजबूर होना पड़ा क्योंकि इन का गिरफ़्तारी वारंट कल जारी होचुका था।

अशर्फ़ ने गिलानी की केबीनेट‌ से पिछ्ले साल फ़रव‌री में जबकि वो वज़ीर बर्क़ी तवानाई थे, करप्शन के आरोपों की वजह से अस्तीफ़ा देदिया था। इन का चुनाव एवान के दरवाज़ा बंद कर देने के बाद वोटों की तक़सीम के ज़रीये अमल में आया। इजलास(सभा) कि शुरुआत से पहले शहाब उद्दीन और काइरा ने अपनी उम्मिदवारी वापिस लेने का एलान किया।

इजलास(सभा) शुरू होने के बाद जमियत उलमा इस्लाम के सदर मौलाना फ़ज़ल उर्रेहमान‌ ने भी दसतबरदारी का एलान किया । ताहम उन्हों ने एक सदस्य‌ के इंतिक़ाल की वजह से इजलास(सभा) मुल्तवी करने का मुतालिबा किया था।