राजीव गांधी के क़त्ल के सात गुन्हगारों को रिहा किया जाएगा। तमिलनाडु में जयललिता हुकूमत की कैबिनेट ने यह फैसला लिया है। मंगल को सुप्रीम कोर्ट ने तीन गुन्हगारों (संतन, मुरुगन और पेरारिवलन) की सजा-ए-मौत को उम्रकैद में तब्दील करने का फैसला सुनाया था। इसके एक दिन बाद जयललिता सरकार ने गुन्हागारों की रिहाई का फैसला लिया। इस फैसले की जानकारी खुद सीएम ने विधानसभा में दी। (पढ़ें- सजा-ए-मौत पर बहस)
गौरतलब है कि राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरंबतुर में एक चुनावी सभा को संबोधित करते समय तमिल आतंकियों ने कर दी थी। अभियुक्तों को टाडा कोर्ट ने जनवरी 1998 में दोषी ठहराया था और फांसी की सजा सुनाई थी। नलिनी, संतन, मुरुगन और पेरारिवलन, रॉबर्ट पायस, जयकुमार और रविचंद्र को रिहा किया जाएगा।
मंगल को सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद जयललिता के मुखालिफ डीएमके के सदर करुणानिधि ने गुन्हागार की रिहाई का मुद्दा उठाया था। इसलिए जयललिता ने बिना देर किए इस मुद्दे का राजनीतिक फायदा उठाने के मकसद से रिहाई का फैसला ले लिया। बुध को जयललिता ने कैबिनेट की बैठक बुला कर फैसला लिया और विधानसभा में इसका एलान भी कर दी।
जुनूबी हिन्द की सियासत के जानकार आर. राजगोपालन (सीनियर सहाफी) के मुताबिक यह फैसला लोकसभा चुनाव में फायदा उठाने के मकसद से लिया गया है। मंगल को सु्प्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद डीएमके सदर एम. करुणानिधि ने गुन्हागारों की रिहाई की मांग की थी। उन्होंने कहा था, ‘सु्प्रीम कोर्ट के फैसले से मैं खुश हूं, लेकिन उनकी रिहाई हो जाए तो मुझे दोगुनी खुशी होगी।’
सुप्रीम कोर्ट के वकील केटीएस तुलसी ने कहा, ‘रारियासती हुकूमत का फैसला ़काबिले सताइश है। अगर उन्हें उम्रकैद हुई होती तो वे काफी पहले छूट चुके होते। अगर जेल में उनका व्यवहार किसी रूप में आपत्तिजनक नहीं था तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मद्देनजर सरकार को रिहाई का फैसला लेना ही पड़ता और यह अच्छी बात है कि तमिलनाडु सरकार ने यह फैसला जल्दी ले लिया।’
राजगोपालन ने बताया कि रियासती हुकूमत को गवर्नर की मंजूरी लेनी होगी और उनकी मंजूरी मिलने के बाद रिहाई हो जाएगी। यह एक लफ्ते में हो सकता है।
केटीएस तुलसी ने बताया कि गवर्नर मंजूरी देने से पहले मर्क़जी हुकूमत से मश्विरा कर सकते हैं। जयललिता ने कहा कि उनके कैबिनेट के फैसले को मर्कजी के पास भेजा जाएगा क्योंकि सीबाआई ने राजीव गांधी क़त्ल के बारे में सीआरपीसी की दिफा435 के तहत केस दर्ज किया हुआ है।
अगर, तीन दिनों के अंदर में मर्कजी हुकूमत की जानिब से कोई जवाब नहीं आया तो रियासती हुकूमत सीआरपीसी की दिफा 432 के मुताबिक इन सभी सातों गुन्हगारों को रिहा कर देगी।