राजीव गांधी के क़ातिलों की मुजव्वज़ा रिहाई पर हुक्म अलतवा की दरख़ास्त

राजीव गांधी क़त्ल मुक़द्दमे के तीन मुजरिमों की रिहायश पर हुक्म अलतवा हासिल करने के बाद मर्कज़ी हुकूमत ने आज सुप्रीम कोर्ट से दुबारा रुजू होते हुए तमिलनाडु हुकूमत को सज़ाए उम्र क़ैद काटने वाले दीगर चार मुजरिमों को आज़ाद करने के फ़ैसले पर अमल आवरी को रोकने की गुज़ारिश की।

चीफ़ जस्टिस पी सथासिवम की ज़ेरे क़ियादत एक बेंच ने कहा कि ठोस दरख़ास्त जिस में तमाम 7 मुजरिमों के नाम दर्ज किए गए हैं आज अदालत में दाख़िल की गई और मुक़द्दमे की आजलाना बुनियादों पर समाअत की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने 20 फ़रव‌री को तीन मुजरिमों मुरूगन, संतान और अरीबो को रिहा करने पर हुक्म अलतवा जारी किया था जिनकी सज़ाए मौत को सुप्रीम कोर्ट ने 18 फ़रव‌री को राजीव गांधी क़त्ल मुक़द्दमे में सज़ाए उम्र क़ैद में तबदील कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि रियासती हुकूमत के मुजरिमों के रिहा करने के फ़ैसले में तरीका-ए-कार की कोताहियों मौजूद हैं। मर्कज़ का ये इक़दाम सुप्रीम कोर्ट के इक़दाम के बाद मंज़रे आम पर आया जिस में कहा गया था कि मर्कज़ दीगर चार क़ैदीयों के बारे मानी जिन की सज़ा को हुकूमत तमिलनाडु ने कम कर दिया है, ताज़ा दरख़ास्त पेश की जा सकती है।

मर्कज़ ने नलीनी ,राबर्ट पईस ,जियाकंवर और रवी चन्द्र की रिहाई के फ़ैसले पर हुक्म अलतवा जारी करने की दरख़ास्त की है। 19 फ़रव‌री को जय‌ ललीता हुकूमत ने फ़ैसला किया था कि क़त्ल मुक़द्दमा के तमाम 7 मुजरिमों को आज़ाद कर दिया जाये। संतान ,मुरूगन और अरीवव फ़िलहाल सेंटर्ल जेल वेल्लौर (तमिलनाडु) में हैं और 1991 से क़ैद में है। दीगर चार रुपोश उम्र क़ैद के क़ैदीयों के राजीव गांधी के क़त्ल में 31 मई 1991 को श्री पुरम बुदूर में हमले के बाद से लापता हैं।

बेंच ने 20 फ़रव‌री को हुकूमत तमिलनादडु ,आई जी महाबस चिनाई, सुप्रिटेंडेंट‌ जेल वेल्लौर और मुजरिमों मुरूगन ,संतान और अरीवव को 6 मार्च को हाज़िर अदालत होने का हुक्म दिया। मर्कज़ की जानिब से राजीव गांधी क़त्ल मुक़द्दमे के मुजरिमों की रिहायश के फ़ैसले को रोक देने के मर्कज़ के इक़दाम पर चीफ़ मिनिस्टर तमिलनाडु जय‌ ललीता ने आज कहा कि उनकी हुकूमत इसका क़ानूनी तौर पर सामना करेगी।

उन्होंने कहा कि हम इस से वाक़िफ़ हैं। मर्कज़ ने हमें खत‌ रवाना किया है। हम इसका अदालत में सामना करेंगे। वो सुप्रीम कोर्ट से मर्कज़ के रुजू होने के बारे में सवाल का जवाब दे रही थीं। जब उनकी तवज्जु रिहाई के फ़ैसले को सियासी इक़दाम क़रार देने के इल्ज़ाम की तरफ़ मबज़ूल करवाई गई तो उन्होंने कहा कि मामला अदालत में है। इस पर प्रेंस कान्फ्रेंस में तबसरा करना तौहीन अदालत होगा। हम को जो कुछ कहना है हम अपने वकील के ज़रीये अदालत में ही कहेंगे।