राजीव गांधी क़ातिलों की सज़ा में तख़फ़ीफ़ की मुख़ालिफ़त : मर्कज़

चेन्नई 29 अक्टूबर ( पी टी आई ) राजीव गांधी के तीन क़ातिलों की जानिब से उन्हें सुनाई गई सज़ाए मौत की मुख़ालिफ़त में दायर की गई दरख़ास्त की शिद्दत से मुख़ालिफ़त करते हुए मर्कज़ ने आज कहा कि सज़ाए मौत पर दरख़ास्त रहम की यकसूई में होने वाली ताख़ीर की बुनियाद पर सज़ाए मौत को तबदील नहीं किया जा सकता ।

मर्कज़ी हुकूमत ने मुरूगन सानथन और पीरारी वालन की दरख़ास्तों पर अपने जवाबी हलफनामा में कहा कि दरख़ास्त रहम पर फ़ैसला करने में चाहे कितना ही वक़्त क्यों ना लगे उसे इस बात के लिए बुनियाद नहीं बनाया जा सकता कि सज़ाए मौत को तबदील कर दिया जाय या तवालत की वजह से जुर्म की संगीनी पर भी कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।

30 अगस्त को जस्टिस सी नागपन और जस्टिस ऐम सत्य नारायण पर मुश्तमिल एक बंच ने इन तीनों को सुनाई गई सज़ाए मौत पर आठ हफ़्तों केलिए हुक्म इलतिवा जारी कर दिया था ।

आज इस दरख़ास्त पर समाअत के दौरान जजस ने मज़ीद समाअत 29 नवंबर तक मुल्तवी कर दी । मदूराई से मौसूला इत्तिला के बमूजब राजीव गांधी के क़ातिलों को आम माफ़ी दिए जाने के मुताल्लिक़ बी जे पी लीडर एल के अडवानी ने कहा कि ये फ़ैसला सयासी बुनियादों पर नहीं किया जाना चाहीए बल्कि उसे अदालत पर छोड़ना चाहिए।

आम माफ़ी का सवाल जहां तक है, चाहे वो राजीव गांधी के क़ातिल हूँ या हिंदूस्तानी पार्लीमैंट के हमला आवर हूँ, इस ताल्लुक़ से अदालत जो कुछ फ़ैसला करती है इस में सयासी मुदाख़िलत नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने दहश्तगर्दी के मसला पर यू पी ए हुकूमत को शदीद तन्क़ीद का निशाना बनाया और कहा कि जम्मू कश्मीर के बाअज़ इलाक़ों से वो मुतनाज़ा मुसल्लह फ़ोर्सस ख़ुसूसी इख़्तयारात क़ानून से दसतबरदारी पर तन्क़ीद की और कहा कि दहश्तगर्दी से निमटने के लिए सख़्त इक़दामात ज़रूरी हैं।