राज्यपाल राम नाइक ने मशहूर शायर वसीम बरेलवी के जन्मदिन पर उन्हें सम्मानित किया

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक ने कल प्रोफेसर वसीम बरेलवी की 75 वीं वर्षगांठ पर लखनऊ विश्वविद्यालय में आयोजित अमृत महोत्सव समारोह में उन्हें सम्मानित करते हुए सौ साला जीवन की शुभकामनाएं दी।

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न्यूज़ नेटवर्क समूह प्रदेश 18 के अनुसार राज्यपाल ने कहा कि प्रोफेसर वसीम बरेलवी प्रसिद्ध उर्दू कवि हैं। प्रोफ़ेसर वसीम बरेलवी का परिवार बहुत बड़ा है। वह केवल बरेली, उत्तर प्रदेश या भारत तक सीमित नहीं हैं, बल्कि उनके चाहने वाले पूरी दुनिया में फैले हैं। अमृत महोत्सव में मुरारी बापू की उपस्थिति दूध में शकर और केसर जैसी है। उन्होंने कहा कि प्रोफेसर वसीम का तर्ज़ केवल खुशमिजाज़ ही नहीं, बल्कि लोगों में एकता और देशभक्ति की जागरूकता पैदा करती है।
श्री नायक ने कहा कि हमारे देश में कई भाषाएँ हैं। उर्दू जबान हिन्दी के बाद सबसे ज़्यादा समझी जाने वाली भाषा है। उन्होंने कहा कि यह सुखद संयोग है कि मंच पर बैठे वसीम साहब की मातृभाषा उर्दू है, मुरारी बापू की मातृभाषा गुजराती है और मेरी मातृभाषा मराठी है, लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति की हिन्दी है। राज्यपाल ने अपनी चार भाषा में प्रकाशित किताब भेंट भी की। उन्होंने कहा कि वास्तव में यह अमृत महोत्सव के साथ साथ भारतीय भाषाओं का सम्मेलन और संगम भी है।
कथाकार मुरारी बापू ने राज्यपाल की किताब को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्होंने किताब नहीं अपना दिल दिया है। उन्होंने प्रोफेसर वसीम बरेलवी की सराहना करते हुए कहा कि वसीम बरेलवी अपनी शायरी के माध्यम से लोगों के दिलों तक पहुंचे हैं। वसीम बरेलवी की जीवन उस दीपक के समान है जिसका कोई धर्म नहीं होता, केवल उजाला फैलता है। प्रोफ़ेसर बरेलवी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कलाकार और कलमकार की बात ही कुछ और है, वह किसी का भी नहीं होता है और सब का होता है। समाज को करीब से देखने और संतुलित करने में साहित्य का बड़ा हिस्सा है। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति महान है जिस में लोगों को जोड़ने की भावनायें हैं।