बीएसपी प्रमुख मायावती, के राज्यसभा से इस्तीफे को उच्चतम सदन के अध्यक्ष हमीद अंसारी ने गुरुवार को स्वीकार कर लिया।
मायावती ने बुधवार को सदन से इस्तीफा दिया था और भाजपा और अध्यक्ष पर आरोप लगाया था की वे उन्हें उत्तर प्रदेश में दलित हिंसा के मुद्दे को उठाने की इजाज़त नहीं दे रहे।
हालांकि, मायावती के तीन पृष्ठ के इस्तीफे को इस कारण से खारिज कर दिया गया था क्योंकि वह अपेक्षित प्रारूप में नहीं था।
प्रारूप में कहा गया कि, इस्तीफा संक्षिप्त होना चाहिए और उसमे कारणो का उल्लेख नहीं होना चाहिए।
मायावती के इस कदम को दलित समर्थन को मजबूत करने और खुद को समुदाय के प्रख्यात नेता के रूप में पुनः स्थापित करने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है । इस साल के शुरू में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों में उनकी पार्टी ने केवल 18 सीटें जीती थी, जबकि भाजपा 403 सीटों में से 300 से अधिक सीटे जीतकर सत्ता में आई थी।
भाजपा ने मायावती के इस्तीफा को “नाटक” बताया और कहा की वैसे भी अगले साल के अंत तक सदन में उनका कार्यकाल खत्म होने वाला था।