पांच सीट वाला राजद राज्यसभा में अपना उम्मीदवार भेजने में कामयाब रहा। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद हार्ड पॉलिटिकल बार्गेनर निकले। लालू प्रसाद ने काफी तरीके से दिल्ली में जाल बिछाया।
कांग्रेस आलाकमान के जरिये अपने उम्मीदवार प्रेमंचद गुप्ता के लिए रास्ता निकाला। लालू प्रसाद ने पार्टी के आला लीडरो को अपने पाले में किया। पहले तरीके से कांग्रेस को रास्ते से हटाया। राजद लीडर जानते थे कि रियासत में ज्यादा माथापच्ची करने से फायदा नहीं है। मर्कज़ी आलाकमान की हिदायत के बाद कांग्रेस ने अपनी उम्मीदवारी के लिए दावं-पेच बंद कर दी। लालू प्रसाद ने कांग्रेस लीडर राहुल गांधी, अहमद पटेल समेत दूसरे लीडरों से मुलाकात की थी।
इधर, कांग्रेस के साथ राजद ने हुकूमत पर जबरदस्त दबाव बनाया। झामुमो अदाद व शुमार में पसमानदा हो गया। महरूम सुधीर महतो की बीवी सविता महतो को उम्मीदवार बनाये जाने के ऐलान के बाद झामुमो का बैकफुट में आना सियासी नुकसान का सौदा रहा। झामुमो ने एक बड़े तबके में गुडविल गंवा दी। झामुमो अर्जुन मुंडा के पासे में फंस गया। मुंडा ने दूर की कौड़ी खेली। सविता महतो को उम्मीदवार बनाये जाने की बात उछाल कर मुंडा ने यूपीए में एक नया उम्मीदवार बना दिया। झामुमो सविता महतो को उम्मीदवार बना कर भाजपा-आजसू को घेरता, उससे पहले ही यूपीए में घमसान मच गया। भाजपा-आजसू पर झामुमो मरहूम सुधीर महतो और आंदोलनकारी की हमदर्दी को लेकर हमला करता, उससे पहले ही यूपीए एक्सपोज हो गया।
बोर्ड-कॉर्पोरेशन और केडी सिंह के इस्तीफे के बाद खाली सीट से निकाला रास्ता
कांग्रेस और राजद ने झामुमो के साथ मंजूरी बनाने के लिए मशक्कत की। इसमें राजेंद्र सिंह और अन्नपूर्णा देवी की किरदार अहम रही। बोर्ड-कॉर्पोरेशन और केडी सिंह की खाली सीट से ही रास्ता निकाला। झामुमो के सामने केडी सिंह की खाली सीट पर ही बात बनी। इधर, कांग्रेस के एक खेमे ने बोर्ड-कॉर्पोरेशन भी मौजूदा सविता महतो को देने की तजवीज रख दिया। झामुमो को मनाने के लिए ये हथियार काम आये।