रात ग्यारह बजे फ़िल्म देखने जाना ज़रूरी है?: वीमंस कमीशन

ख्वातीन के हुक़ूक़ के तई मर्दों की बेहिसी तो हम ने सुनी थी लेकिन महाराष्ट्र स्टेट वीमंस कमीशन रुक्न एन सी पी आशा मीर जय ने भी जो बयान दिया है वो शायद ख्वातीन के तई सर्द मोहरी या बेहिसी को ज़ाहिर करता है।

हालाँकि वो ख़ुद एक ख़ातून हैं। उन्होंने अपने एक ख़िताब के दौरान ख्वातीन को मुहतात रहने का मश्वरा दिया। नागपुर में एन सी पी के वीमंस विंग के एक प्रोग्राम के दौरान तक़रीर करते हुए उन्होंने दिल्ली इजतिमाई इस्मत रेज़ि का तज़किरा छेड़ दिया और कहा कि आख़िर रात ग्यारह बजे अपने दोस्त के साथ फ़िल्म देखने नरभय‌ ने प्रोग्राम क्यों बनाया?

क्या नरभय‌ को रात ग्यारह बजे अपने दोस्त के साथ फ़िल्म देखने जाना ज़रूरी था ? शक्ति मिल्ज़ इजतिमाई इस्मत रेज़ि को ही लीजिए। मुतास्सिरा ख़ातून सहाफ़ी शाम छः बजे उसे सुनसान मुक़ाम पर क्यों गई थी ? एन सी पी की वीमंस विंग की क़ियादत सुप्रिया सोले करती हैं जो पार्टी सरबराह शरद पवार की दुख्तर हैं।

मेरजे जब मुंदरजा बाला मुतनाज़ा ब्यानात दे रही थीं, उस वक़्त सुप्रिया सोले बिलकुल ख़ामूश बैठी हुई थीं। उन्होंने एक बार फिर अपनी बात दुहराते हुए कहा कि ख्वातीन को बहुत मुहतात रहना चाहिए। उन्हें ख़ुद से ये सवाल पूछना चाहिए कि वो कहाँ जा रही हैं? किस मक़सद के तहत जा रही हैं ? किस के साथ जा रही हैं और किया जिस जगह वो जा रही हैं वहां जाना ज़रूरी है?

उन्होंने कहा कि ख्वातीन पर जिन्सी हमले किए जाने की तीन अहम वजूहात हैं। ख्वातीन का नामुनासिब लिबास, उनका अंदाज़ और गैर मुनासिब मुक़ामात पर उनकी मौजूदगी।