मुंबई: अपने आपको देवी बताने वाली राधे मां अब रोज़ नई नई मुसीबतो में घिरती जा रही हैं। ताजा मामला कांगडा का है, जहां राधे मां के उस्ताद यानी गुरू भाई और वहां के महंत श्यामसुंदर दास ने इल्ज़ाम लगाए हैं कि राधे मां ने उनके गुरू महंत रामाधीन दास परमहंस को मारने की साजिश रची थी।
महंत श्यामसुंदर दास ने अपने क़त्ल का खदशा भी जताया है। हिमाचल प्रदेश के कांगडा और चंबा जिला की सरहद पर एक जगह है हटली, यहीं के श्री राम मंदिर के महंत श्यामसुन्दर दास राधे मां के गुरू भाई हैं। उनका कहना है कि राधे का असली नाम बबू देवा है और वह महंत श्री रामाधीन दास परमहंस जी के मुकेरियां वाके आश्रम में आई थीं। उस वक्त उसकी ज़हनी हालत ठीक नहीं थी। राधे मां के गुरू भाई का दावा है कि गुरूजी ने न सिर्फ उसे आश्रम में ठिकाना दिया, बल्कि उसका इलाज भी किया। महंत श्याम सुन्दर दास कहते हैं कि राधे मां न सिर्फ आश्रम की मुखिया बनने का सपना मन में पाले हुए है, बल्कि आश्रम की प्रापर्टी को भी हडपना चाहती है।
इस बीच, राधे मां की कहानी का एक और चैप्टर सामने आया है। कहा जा रहा है कि राधे मां की प्रापर्टी का राज उस घर के छठे माले में छिपा है, जिस घर में उन्होंने 15 साल गुजारे। इसकी छठी मंजिल पर जाने की इजाजत राधे मां के किसी भक्तों को भी नहीं थी।
यहां वही जाता था, जिसे राधे मां चाहती थीं। मुंबई के मशहूर एमएम मिठाईवाला खानदान की मुंबई के बोरीवली में वाके इमारत राधे मां की मायावी दुनिया का सबसे बडा किला है। एमएम मिठाईवाला राधे मां के भक्त हैं। इस छह मंजिला इमारत से पूरा कामधाम चलता है |
इल्ज़ाम है कि इसी इमारत में राधे मां की धर्म की दुकान भी चलती है। इस इमारत की पांचवीं मंजिल पर राधे मां का दरबार लगता है , जहां वह मुबय्यना तौर पर सत्संग करती है और इस पांचवीं मंजिल के ऊपर है राधे मां की पुरअसरार दुनिया।
राधे मां की कहानी पंजाब के गुरदासपुर से शुरू होती है। गुरदासपुर के दोरगला गांव की बब्बो उर्फ सुखविंदर कौर ने करीब 25 साल पहले खुद को देवी दुर्गा का अवतार बताते हुए माता की चौकी का इंइकाद किया। इसी दौरान बब्बो ने अपना नाम राधे मां रख लिया।
कुछ साल बाद मुकामी विहिप लीडर सुरेंद्र मित्तल ने राधे मां के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। उसके बाद राधे मां गुरदासपुर से दिल्ली आ गईं। यहां एक भक्त के घर पर वह तीन साल तक रहीं। इस दौरान राधे मां की मुलाकात संजीव गुप्ता से हुई और राधे मां की किस्मत रातोंरात पटलट गईं।
यह संजीव गुप्ता कोई और नहीं, बल्कि एमएम मिठाईवाला के बेटे हैं।
संजीव गुप्ता राधे मां को बोरीवली वाके अपने घर पर ले आए। गुप्ता खानदान पर राधे मां ने ऐसा जादू चलाया कि पूरा खानदान उनका भक्त हो गया। यहां तक कि गुप्ता खाअनदान में जिसने भी राधे मां का एहतिजाज किया, उसे बाहर का रास्ता दिखा दिया गया।
इसकी ताजा शिकार गुप्ता खानदान की बहू है, जिन्होंने राधे मां समेत गुप्ता खानदान के सात लोगों के खिलाफ दहेज हरासानी का केस दर्ज कराया है। गुप्ता खानदान ने बोरीवली वाके अपने आलीशान मकान का नाम बदलकर राधे मां भवन कर दिया।
इस इमारत की पांचवीं और छठी मंजिल राधे मां के नाम कर दी। पांचवीं मंजिल पर राधे मां का दरबार लगता है, जबकि छठी मंजिल पर राधे मां खुद रहती हैं। राधे मां के साबिक भक्तों और चश्मदीदों के मुताबिक, छठी मंजिल पर राधे मां के अलावा सिर्फ वही जाता है, जिसे राधे मां खुद बुलाती है।
उनकी इजाजत के बगैर छठी मंजिल पर परिंदा भी पर नहीं मार सकता है। सात साल तक राधे मां के यहां खादिम रहे एक शख्स का दावा है कि छठी मंजिल पर अक्सर आइटम सॉन्ग बजते थे। खादिम के मुताबिक, इन्हीं आइटम सॉन्ग पर राधे मां मदहोश होकर थिरकती थीं।
साबिक खादिम का कहना है कि राधे मां की सारी प्राइवेट बैठकें इसी मंजिल पर होती थीं। यहीं पर उनकी चौकी का रेट भी तय होता था। इल्ज़ाम है कि राधे मां के एजेंट जिन्हें सेवादार कहा जाता है वे अमीर लोगों को जाल में फंसाकर यहां लाते थे और उसकी मुलाकात राधे मां से कराते थे।
खुद को देवी का अवतार बताने वाली राधे मां अक्सर अपने करीबियों को गालियां देती हैं।
इल्ज़ाम है कि राधे मां ने अपने खास सेवादार टल्ली महाराज और छोटी मां के साथ मिलकर एमएम मिठाईवाला खानदान में फूट डाली और गुप्ता खानदान के बडे बेटे संजीव को अपने पाले में कर लिया। करीब 15 साल से राधे मां इसी 6 मंजिला इमारत में अपना राज चला रही हैं।
हालांकि राधे मां के करीबी उन पर लगने वाले सभी इल्ज़ामात से इनकार कर रहे हैं। राधे मां के करीबी टल्ली बाबा के मुताबिक, हम ना तो एजेंट हैं और ना ही माता की चौकी का रेट लगाया जाता था। सारे इल्ज़ाम बेबुनियाद हैं। बहरहाल, इस पूरे तनाज़ा और तमाम इल्ज़ाम लगने के बाद राधे मां ने अपना ठिकाना बदल दिया है।
वह इस शानदार इमारत से निकलकर जुनूबी मुंबई के पॉश वाल्केश्वर इलाके में अपने ही एक और भक्त के घर रह रही हैं।