राबर्ट वॉड्रा पर बदउनवानीयों (भ्रष्टाचार) से दौलत कमाने का इल्ज़ाम

इंडिया अगेंस्ट करप्शन ( आई ए सी ) के अरकान प्रशांत भूषण और अरविंद केजरीवाल ने आज इल्ज़ाम आइद किया ( आरोप लगाया) कि कांग्रेस की सदर सोनिया गांधी के दामाद राबर्ट वॉड्रा ने रिएल स्टेट मुआमलतों में बड़े पैमाने पर बदउनवानीयाँ (भ्रष्टाचारी) की हैं ।

प्रेस कान्फ्रेंस से ख़िताब करते हुए आई ए सी अरकान ने इल्ज़ाम आइद किया कि रिएल स्टेट कंपनी डी एल एफ ने राबर्ट वॉड्रा को कौड़ियों के दाम पर इंतिहाई (ज़्यादा) कीमती आराज़ीयात ( ज़मीन) फ़रोग़ की थीं और उन्हें सूद से पाक क़र्ज़ भी फ़राहम किया गया था ।

इन का इल्ज़ाम था कि राबर्ट वॉड्रा की दौलत गुज़शता तीन साल में 50 लाख रुपये से बढ़ कर 300 करोड़ तक जा पहूँची है । प्रशांत भूषण ने कहा कि राबर्ट वॉड्रा और उन की वालिदा ( माँ) की जानिब से पाँच कंपनियां क़ायम की गई थीं उनके बैलंस शीट से पता चलता है कि इन कंपनियों का जुमला सरमाया (पूँजी) सिर्फ 50 लाख रुपये था ।

गुज़शता चार साल में राबर्ट ने कई कीमती जायदादें खरीदी हैं । कहा जाता है कि उन्होंने कम अज़ ( से) कम 31 जायदादें खरीदी हैं जो दिल्ली या इसके अतराफ़ ( आस पास ) के इलाक़ों में हैं। मिस्टर भूषण ने इल्ज़ाम आइद किया कि जिस वक़्त उन्होंने ये जायदादें खरीदी थीं उस वक़्त भी उन की कीमत कई सौ करोड़ रुपये की थीं।

मिस्टर केजरीवाल ने कहा कि राबर्ट वॉड्रा ने कोई पैसा ना रखते हुए सैंकड़ों ( कई सौ) करोड़ रुपये की आराज़ीयात ( जमीने) खरीदी हैं । ये फ़ंड्स कहां से आए हैं इसका जवाब देना चाहीए । उन्होंने अपने इद्दिआ जात की ताईद में कुछ दस्तावेज़ात ( कागजात) भी प्रेस कान्फ्रेंस में मौजूद सहाफ़ीयों (पत्रकारो) में तक़सीम किए ।

केजरीवाल ने मुतालिबा किया कि हुकूमत राबर्ट को बद उनवान ( भ्रष्टाचार) जायदाद मुआमलतों से होने वाले फ़वाइद ( फायदे) की तहकीकात का हुक्म जारी करे । राबरड वॉड्रा एक ताजिर ( व्यापारी) ख़ानदान से ताल्लुक़ रखते हैं और वो सोनिया गांधी की दुख़तर प्रियंका गांधी के शौहर हैं।

केजरीवाल और प्रशांत भूषण ने पहले ऐलान किया था कि वो हफ़्ते ( शनिचर) को एक प्रेस कान्फ्रेंस में दो बड़े सयासी ( राजनीतिक्) लीडरों की बे क़ाईदगियों (अनियमितता/धांधलीयों) का पर्दाफ़ाश करेंगे । ताहम ( यद्वपी) कल की बजा आज ही ये इफ़शा ( ज़ाहिर / प्रकट) कर दिया गया और एक और लीडर के ताल्लुक़ से जिस का महाराष्ट्रा से ताल्लुक़ बताया गया है 10 अक्टूबर को इन्किशाफ़ ( ज़ाहिर) करने का इरादा ज़ाहिर किया गया है ।

मिस्टर भूषण ने प्रेस कान्फ्रेंस में बताया कि डी एल एफ कंपनी ने राबर्ट वॉड्रा को 65 करोड़ रुपये का क़र्ज़ फ़राहम किया और इस पर कोई सूद आइद ( लागू) नहीं किया गया । उन्होंने कहा कि वॉड्रा ने इसी रक़म से डी एल एफ की जायदादें ख़रीदीं और इंतिहाई ( बहुत ही) मामूली कीमत पर हासिल कीं।

उन्होंने सवाल किया कि इस मुआमलत के ज़रीया वॉड्रा ने कांग्रेस पार्टी को क्या फ़ायदा पहुँचाया है ? । उन्होंने इद्दिआ ( दावा) किया कि राबर्ट वॉड्रा ने 65 करोड़ रुपये की जायदाद पाँच करोड़ रुपय में खरीदी है । इससे डी एल एफ को क्या फ़ायदा हुआ ? । उन्होंने कहा कि गुड़गावं में डी एल एफ की एक जायदाद में चार पेंट हाउस हैं ।

राबर्ट वॉड्रा ने पाँच कंपनियों के ज़रीया ये जायदादें खरीदी हैं। उन्होंने कहा कि इन के पास 12 कंपनियों को रजिस्टर्ड करवाए जाने की तफ़सीलात हैं जिन में छः कंपनियां तो सिर्फ 2012 में रजिस्टर्ड करवाई गएं। 2009 में वॉड्रा को एक मेंट हाउस 89 लाख रुपय में फ़रोख्त किया गया जबकि उस वक़्त उस की कीमत 25 करोड़ रुपये थे और अब उस की कीमत 40 करोड़ रुपये हो गई है ।

केजरीवाल और भूषण इस से क़बल 15 काबीनी वुज़रा ( Cabinet Ministers) बिशमोल ( जिसमें) वज़ीर ए आज़म के ख़िलाफ़ भी दस्तावेज़ात जारी करते हुए करप्शन के इल्ज़ामात आइद किए थे । उन्होंने मुतालिबा किया कि इन इल्ज़ामात की तहकीकात के लिए ख़ुसूसी तहक़ीक़ाती टीम तशकील दी ( बनायी) जाय ।

हुकूमत ने ताहम ( जबकि) उन के मुतालिबात पर कोई रद्द-ए-अमल ( प्रतिक्रिया) ज़ाहिर नहीं किया है । इस दौरान डी एल एफ और कांग्रेस दोनों ने आई ए सी कारकुनों ( कार्यकर्ताओं) के इल्ज़ामात की तरदीद ( खंडन) की है । डी एल एफ के एक बयान में कहा गया है कि मिस्टर वॉड्रा के साथ कारोबारी ताल्लुक़ात इंतिहाई शफ़्फ़ाफ़ (साफ) हैं और ये ताल्लुक़ात इक़दार ( एकता) पर मबनी ( टिकी/ निर्धारित)) हैं।

कांग्रेस लीडर राजीव शुक्ला ने कहा कि तमाम ताजिर ( व्यापारी)अपने कारोबार के सिलसिला में क़र्ज़ हासिल करते हैं और राबर्ट वॉड्रा ने भी एसा किया होगा इस में कोई बुराई नहीं है । उन्होंने कहा कि इस बात का कोई सबूत नहीं है कि कांग्रेस ने बिलवास्ता तौर पर ( किसी के द्वारा) डी एल एफ की मदद की हो। एक और कांग्रेस लीडर मनीष तिवारी ने कहा कि आई ए सी कारकुन मौकापरस्ती में मुलव्वस (भागीदार) होते हुए इस तरह का इल्ज़ाम आइद कर रहे हैं ताकि उन की नई सयासी जमात के ताल्लुक़ से अवाम की तवज्जा (ध्यान) हासिल की जाय ।