लालू प्रसाद के मुताबिक एक अणे मार्ग (वजीरे आला रिहाइशगाह ) में लगे आम-लीची के दरख्त का फल खाने का पहला हक अगर किसी को है, तो वह हैं साबिक़ वजीरे आला राबड़ी देवी। उनके मुद्दत में ही अणे मार्ग और वजीरे आला रिहाइशगाह के आसपास दरख़्त लगाया गया था। लालू प्रसाद ने यह भी कहा कहा कि वजीरे आला रिहाइशगाह में लगे फलों को खाने पर साबिक़ वजीरे आला जीतन राम मांझी पर लगी रोक मुनासिब है। पहरेदारी होती रही है।
उधर, पटना में वर्ल्ड इन्विरोमेंट डे पर मांझी ने एक अणे मार्ग के बगीचे में आम के पांच और लीची के तीन दरख़्त लगाए। उन्होंने कहा कि एनवीरोमेंट को साफ बनाने के लिए हर सख्श को दरख़्त लगाना चाहिए। जब तक ज़मीन के 33 फीसद हिस्से पर हरियाली नहीं होगी, तब तक बारिश में संतुलन नहीं आएगा।
नीतीश कुमार ने अपने घर लगाए आम के दरख़्त
वजीरे आला नीतीश कुमार ने भी जुमा को 7, सर्कुलर रोड वाकेय रिहाइशगाह में आम के दो दरख़्त लगाए। इस मौके पर बोले, बदलते महौलीयात के असर जैसे ज़्यादा गर्मी, बारिश से दरख़्त और ज़मीन का हरित आवरण ही हमें बचा सकते हैं। दरख़्त गाने की आदत को डेवलोप करना चाहिए। जगह दस्तयाब न हो, तो गमले में ही दरख़्त लगाएं। उन्होंने कहा कि ज़ीराअत रोड मैप के लागू होने के बाद बिहार में हरित आवरण साल 2011 के 9.79 फीसद से बढ़कर मौजूदा में 12.86 फीसद हो गया है। साल 2017 तक 15 फीसद करने का टार्गेट है।