रामजान में डायब्टीज रोगी इन बातों का रखे ख्याल

डायब्टीज जैसी बीमारियों से पीड़ित लोगों की सेहत के लिए भूखा रहना खतरनाक हो सकता है। यह बात मधुमेह पीड़ितों के मन से यह सवाल पैदा करती है कि रोजे रखें या न रखें। अपने धार्मिक अकीदे और भावनाओं को तरजीह दें या अपनी सेहत को। इस्लाम में अगर बीमारी से जान का खतरा है तो रोज़ा रखने में छुट की इज़ाज़त दी गयी है

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जिन्हें टाइप 1 डायब्टीज है उन्हें बिल्कुल भी भूखा नहीं रहना चाहिए क्योंकि उन्हें हाईपोग्लेसीमिया यानी लो ब्लड शूगर होने का खतरा रहता हैइसलियें ऐसे लोग बिलकुल भी रोज़ा ना रखे ।
आम तौर पर पाई जाने वाली टाइप 2 डायब्टीज वाले लोग रोजा रख सकते हैं लेकिन उन्हें नीचे दी गई बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए ताकि उनकी सेहत खराब ना हो-
1. स्लफोनाइल्योरियस और क्लोरप्रोप्माइड जैसी दवाएं रोजे के वक्त नहीं लेनी चाहिए क्योंकि इससे लंबे समय के लिए अवांछित लो ब्लड शूगर हो सकती है।
2. मैटफोरमिन, प्योग्लिटाजोन, रिपैग्लिनायड रोजे के दौरान ले सकते हैं। यह भी पढ़े-डायबिटीज़ की तकलीफ हो, तो रखें इन बातों का रखे ध्यान
3. लंबी अवधि की इनसूलिन की दवा जरूरत के अनुसार कर लेनी चाहिए और शाम के खाने से पहले लेनी चाहिए।
4. छोटी अवधि की इनसुलिन सुरक्षित होती हैं।
5. अगर मरीज की शूगर 70 से कम हो जाए या 300 तक पहुंच जाए तो उसे तुरंत रोजा खोल लेना चाहिए।
डायब्टीज के सभी मरीज जो रमजान के दौरान रोजे रखने जा रहे हैं उन्हें शुरूआत में अपना चैकअप जरूर करवा लेना चाहिए और पूरे महीने में भी नियमित जांच करवाते रहना चाहिए। इससे ना सिर्फ उन्हें आवश्यक सावधानियों के बारे में जानकारी मिलती रहेगी बल्कि उन्हें अपनी रूटीन बनाने में भी मदद मिलेगी ताकि उनकी सेहत पर इसका कोई प्रभाव ना पड़े।