पटना : बिहार एसेम्बली इंतिख़ाब के लिए नॉमिनेशन के शुरुवाती दौर में ही एनडीए के अहम साथी पार्टी एलजेपी का अंदरूनी झगड़ा बाहर निकाल आ गया है। पार्टी के आधे एमपी ने कियादत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
एमपी की शिकायत है की एसेम्बली इंतिख़ाब को लेकर पार्टी कियादत की तरफ से उन्हें नज़रअंदाज़ करने के साथ बेइज़्ज़त भी किया जा रहा है। तमाम फैसले पार्टी सरबराह रमविलास पासवान के बंगले में लिए जा रहे हैं। इन फैसलों को भनक न तो पार्टी के क़ौमी व रियासती सतह के ओहदेदारों को है और न ही एमपी को।
वैशाली से एलजेपी एमपी रामकिशोर सिंह मंगल को ही पार्टी के तमाम अहम ओहदे से इस्तीफा दे चुके हैं। लेकिन उनके साथ दो दीगर एमपी महबूब आली और क़ैसर के भी ख्याल कुछ कुछ ऐसे ही हैं।
बुध को रामा सिंह ने बातचीत में कहा की मैं अपने इज्ज़त के साथ मूआहिदा नहीं कर सकता। पार्टी ने मुझे गुजिशता आठ महीने से नज़रअंदाज़ कर रखा है। इसलिए मैंने पार्टी की तमाम जिम्मेदारियों से खुद को आज़ाद कर लिया। साथ ही, उन्होने यह भी कहा की मैं न तो नीतीश कुमार और न ही लालू से साथ जाने वाला हूँ। आने वाले दिनों में मुझे क्या फैसला लेने हैं, इसका खुलासा मैं जल्द करूंगा।
बताया जाता है की एलजेपी एमपी की नाराजगी की अहम वजह पार्टी में अंदरूनी मामले को लेकर है। एमपी का इल्ज़ाम है की तमाम क़िस्म के फैसले रमविलास पासवान के खानदान की सतह पर ही लिये जा रहे हैं। उन्हें न तो एनडीए की किसी इजलास में मदउ किया जाता है और न ही बीजेपी के सीनियर लीडरों के साथ हो रही मुजाकिरत में शामिल किया जाता है। यहाँ तक की लोजपा एसेम्बली इंतिख़ाब में कितने सीटों पर लड़ेगी और इन सीटों पर उम्मीदवार कौन-कौन लोग होंगे, इसकी भी उन्हें जानकारी नहीं दी जाती।