अयोध्या में धर्मसभा करने का क्या मकसद हो सकता है? यह देश के लोगों के अंदर सवाल उठ रहे हैं। आखिर क्या हो गया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार नहीं किया जा रहा है। अॉल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पहले ही कह चुकी है कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले को मानेंगे, चाहे फैसला हमारे खिलाफ़ क्यों नहीं आये। तो फिर विश्व हिंदू परिषद औरतें हिन्दूवादी नेताओं और संगठन इस बात का विश्वास नहीं है?
हकीकत तो यह है कि राम मंदिर के निर्माण की राजनीति तेज़ हो गई है। इसी संदर्भ में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे शनिवार को उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को ले कर हो रही विश्व हिंदू परिषद की धर्म संसद में शामिल होने के लिए पहुंचे। उनके साथ उनकी पत्नी और बेटा भी हैं।

उद्धव ठाकरे ने अयोध्या पहुंच कर भाजपा पर ज़ोर दिया कि वह राम मंदिर के निर्माण की तारीख़ बताए। धर्म संसद में मंदिर निर्माण के लिए संसद में क़ानून लाने या अन्य विकल्पों की संभावनाओं पर विचार किया जाना है, अब सवाल उठता है कि क्या हिंदूवादी संगठनों को संभावित रूप से यह अंदाज़ा हो गया है कि अदालत में वह मुक़द्दमा हार जाएंगे।

विशलेषकों का मानना है कि चुनावों के क़रीब आने के कारण हिंदूवादी संगठनों और दलों ने जानबूझकर यह मुद्दा गर्मा दिया है जबकि इस बीच यह भी अटकलें हैं कि इस मुद्दे को हथियाने के लिए भाजपा और सहयोगी दलों के साथ शिव सेना की ठन गई है। शिव सेना अब इस मुद्दे को झपटने की कोशिश कर रही है।
साभार- ‘parstoday.com’